ख्वाब

ख्वाब

नैना मेरे चुप मत रहना , कह दो दिल की बात।
ख्वाब सुहाने जब भी देखे ,बहते क्यों हर रात।।

कभी निराशा ने है जकड़ा , पर उम्मीदें साथ ।
कभी हँसाते कभी रुलाते , कभी छोड़ते हाथ।।
संवेदित हैं मेरी पलकें, या दिल के जज़बात ।
ख्वाब सुहाने जब भी देखे, बहते क्यों हर रात।।

प्रेम हृदय में भर कर देखूं,सपने सुखद हजार ।
पर जाने क्या होता इसको, खोले मन के द्वार।।
चंद लकीरें आई नीचे , मिली यही सौगात ।
ख्वाब सुहाने जब भी देखे, बहते क्यों हर रात।।

रोम-रोम में पुलकित होता , प्रिये प्रेम का राग।
कंपित होती काया मेरी , और प्रबल अनुराग ।।
मेरी अँखियों ने सपनों का , खूब निभाया साथ ।
ख्वाब सुहाने जब भी देखे, बहते क्यों हर रात।।

नहीं कहो यह निष्ठुर जीवन, तुम मेरी पहचान।
सभी पुराने रिश्ते छूटे , टूट गये अरमान ।।
सदा समर्पित रहती आँखे, हृदय सहे आघात ।
ख्वाब सुहाने जब भी देखे, बहते क्यों हर रात।।

हमारा

कर रही हूँ प्राण तुझको , प्राण ये अर्पण हमारा।
जिंदगी का क्या भरोसा ,वार दूँ जीवन हमारा ।
सुर्ख लाली फूल का ये , कह रहा है हर कहानी –
यार वादा अब निभाना , खिल उठे गुलशन हमारा ।।

अर्चना लाल
जमशेदपुर ,झारखण्ड

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