शिखर से पहले

शिखर से पहले

दरवाजा खोलते ही सामने अंजान शख्स को देख विभा हैरान हो गई। हाथ में कुछ सामान लिए उस पच्चीस-छब्बीस वर्षीय युवक के चेहरे में न जाने कैसा अपनत्व था कि बिना संकोच के उसे अंदर आने दिया।

“नमस्ते मैम! पहचाना नहीं मुझे?” सोफे पर बैठते हुए उस शख्स ने कहा।

“कौन, भुवन तुम…पहचान में ही नहीं आ रहे बिल्कुल भी। एकदम बड़े हो गए हो।” बहुत गौर से देखा, तो याद आया सेंट पब्लिक स्कूल में नौकरी के दौरान पाँचवी कक्षा में दाखिल हुए उस नए छात्र के बारे में, जिसके कुछ वर्ण तुतला कर बोलने की वजह से पूरी कक्षा ने पहले दिन ही खूब मजाक उड़ाया था। दोपहर के भोजनावकाश में वह वहीं बैठा रहा चुपचाप।

“क्या बात है भुवन? तुम नहीं गए बाहर खाना खाने और खेलने?” कक्षा के बाहर से गुजरते हुए विभा ने देखा, तो पूछ लिया पास आकर।

“मैं नहीं जाऊंगा। सब मजात उराते मेरा।”

“तो क्या सबसे दूर भागते रहोगे हमेशा। जीवन बहुत लम्बा है और यह तो शुरुआत है। अभी तो हर पल संघर्ष है यहां। अपनी कमजोरी को हावी मत होने दो अपनी काबलियत पर। इस पर धीरे धीरे काबू पा लोगे तुम। मुझे मालूम है बहुत होशियार हो तुम।” सिर पर हाथ रखा, तो फूट फूट कर रो पड़ा भुवन और विभा ने स्नेह से गले लगा लिया।

उसके बाद दिन प्रतिदिन अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से वह कक्षा में सबका चहेता बन गया। उसी साल विभा को शादी के बाद शहर छोड़ लखनऊ जाना पड़ा। कितना रोया था भुवन विदाई समारोह में और जाते जाते एक कार्ड दिया उसके हाथ में जिस पर चंद पंक्तियाँ लिखी थीं :

“गरुब्रह्मा गुरुर्विष्णु:
गुरूर्देवो महेश्वर:
गुरु: साक्षात परब्रह्म
तस्मै श्री गुरवे नम:”

” मैम!कहाँ खो गई? यह छोटा सा गिफ्ट आपके लिए।”

“पर तुम्हें यहां का पता किसने दिया? क्या कर रहे हो आजकल?”

” मैम, मैंने अभी पिछले साल ही एम एस सी आउडियोलोजी समाप्त की है और अब यहां लखनऊ के ही मशहूर स्पीच थेरेपिस्ट डा. सुमित चोपड़ा के पास इंटर्नशिप के लिए नियुक्त हुआ हूँ। आपका पता तो आपकी सबसे प्यारी सहेली आशिमा मैम से लिया है, जो हमारे घर के पास ही रहती हैं कानपुर में ।”एक सौम्य मुस्कान थी उसके चेहरे पर।

चाय नाश्ता करने के बाद भुवन के सामने ही विभा तोहफा खोलने से खुद को न रोक पाई एक मिनट के लिए भी। एक बहुत ही खूबसूरत स्केच था विभा का उस पर और नीचे छोटे अक्षरों में लिखा था..

“ना भूल पाऊँगा एहसान कभी
जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए भी
हृदय में ज्ञान ज्योति जगाने वाले
हे गुरू!आपके चरण कमलों में
मेरा नमन है, नमन है!!”

आँखें अश्रुपूरित थी। भुवन ने बढ़कर चरण छुए, तो विभा ने गले से लगा लिया।

सीमा भाटिया
साहित्यकार
लुधियाना, पंजाब

0
0 0 votes
Article Rating
335 Comments
Inline Feedbacks
View all comments