
तुम सक्षम हो माही!
तुम सक्षम हो माही! दिन बीतते चले जाते हैं कई दफा यूँ ,जैसे सिर्फ घड़ी की सुईयां सरक रहीं हैं अपनी नियति के अनुसार .. पर वक़्त थम गया है कहीं पर और आपका मन मस्तिष्क भी, एक अजीब सी नीरवता चारों ओर संलिप्त है इसीलिए बहुत कुछ घटित होता रहता है आपके आसपास,…