गुलाबी आँखें…

गुलाबी आँखें… अच्छा तो आप सोच रहे हैं कि मैं कोई ऐसी प्रेम कहानी कहने जा रही हूँ जिसमें एक लड़का और लड़की होंगे और लड़की के गुलाबी आँखों में लड़का… अरे नहीं, नहीं। चलिए मैं आपको मैं गुलाबी आखों वाली के पास ही लिए चलती हूँ। लेकिन उससे पहले मैं अपना परिचय तो दूँ…

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तपती रेत

तपती रेत   “चाची, सामने से हट जाइए…” गाँव वालों की भीड़ रूकमा चाची के आंगन में इकट्ठी थी। “आज इस डायन को नहीं छोड़ेंगे,” भीड़ की आवाज थी। “इसे मैला पिलाकर ही दम लेंगे।” दूसरी रौबदार आवाज आई। “हाँ… हाँ, आज मार ही डालो इस पापिन को!” घृणा से भरी आवाजें गूंज उठीं। “वहीं…

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एकल परिवार

एकल परिवार   नीलेश बहुत अच्छी कंपनी में मैनेजर था। वह अपनी सहकर्मी रीटा को पसंद करता था। माता-पिता भी दोनों की शादी के लिए तैयार हो गए… और रजिस्ट्रर्ड शादी करवाकर 150-200 लोगों को पार्टी दे दी। क्योंकि माता-पिता दोनों ही अपने नौकरी एवं कार्यक्षेत्र में व्यस्त होने की वजह से शादी की व्यवस्थाओं…

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अप्प दीपो भव

अप्प दीपो भव     “दीदी मोबाइल में खुशबू कार्ड भेजी है जरूर आइएगा।” चाय का कप मुझे थमा कर और अपनी चाय लेकर मचिया पर बैठते हुए अनीता ने पहले बात यही कही। मैंने झट मोबाइल खोला और व्हाट्सएप पर ‘खुशबू बुटीक’ पढ़ते ही समझ गई कि खुशबू ने एक बुटीक खोला है। “चलो…

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उठो पार्थ, अब साधो बाण

उठो पार्थ, अब साधो बाण   निवी चाय को उफनते देख रही थी। कभी गैस की आँच को कम कर देती तो अगले ही पल एक और उफ़ान देने के लिए गैस की आँच को तेज़ कर देती। उसके चेहरे का तनाव बता रहा था कि किसी गहरे सोच में डूबी हुई है। तभी बेटी…

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पथ पे विश्वास चला करता है

पथ पे विश्वास चला करता है   स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये पहला ऐतिहासिक फैसला आया है, जिसने मानव जीवन की अब तक की समस्त मान्यताओं को पुनः परिभाषित कर दिया। एक ऐसा निर्णय जिसके कारण असंख्य ज़िंदगियों की अपनी पहचान स्थापित हो सकेगी। जी हाँ भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते…

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रिश्तों की रेखा

रिश्तों की रेखा   “मेम साहिब,आप के जाने के बाद जाने कौन आयेगा इस बंगले में?” बिजया ने काँच के गिलासों को अख़बार में लपेटते हुए कहा था। बिजया की बात सुन कर याद आया बस एक हफ़्ता ही तो रह गया है हमारा असम में। आलोक का तबादला दिल्ली हो गया था। “बिजया मौसी,…

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राजी

राजी “पानी! पानी!”अपने ही शब्द लौट कर उस तक पहुँच जाते हैं।तेज बुखार से देह तप रही है,गला सूख गया,आँखें जल रही हैं।सिर दर्द से फटा जा रहा है।अपने ही हाथ से सिर दबाकर कर कुछ आराम पाने की नाकाम कोशिश की। तीन दिनों से उसकी यही हालत है। डिस्पेंसरी भी तो नहीं जा सकती।…

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इसोफ़ेगस

इसोफ़ेगस   रात की पार्टी के बाद शिखा बेसुध पड़ी थी, बार्नेट अस्पताल के इमर्जेन्सी वार्ड की कुर्सी में। एक्यूट डीहाइड्रेशन। फिंचली मेमोरियल अस्पताल के वॉक-इन-सेंटर में नर्स ने शुरुआती जाँच-पड़ताल में ही अमित से कह दिया था, “शरीर पानी भी नहीं रोक पा रहा है, फ़्लूइड चढ़ाना होगा – बार्नेट के आपातकालीन वार्ड में…

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सोपान

सोपान  ऑफिस के एक बड़े से हॉल में गोविंद नारायण जी के सेवानिवृत्ति उपरांत विदाई समारोह का आयोजन किया गया था। वह आयुक्त के पद पर कार्यरत थे।साथ में उनकी धर्मपत्नी मालती जी भी आमंत्रित थी । गोविन्द जी अपने सेवाकाल में बेहद ईमानदार एवं कर्मठ ऑफिसर रहे थे । वे अपने से छोटे कर्मचारियों…

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