एकल परिवार

एकल परिवार

 

नीलेश बहुत अच्छी कंपनी में मैनेजर था। वह अपनी सहकर्मी रीटा को पसंद करता था। माता-पिता भी दोनों की शादी के लिए तैयार हो गए… और रजिस्ट्रर्ड शादी करवाकर 150-200 लोगों को पार्टी दे दी। क्योंकि माता-पिता दोनों ही अपने नौकरी एवं कार्यक्षेत्र में व्यस्त होने की वजह से शादी की व्यवस्थाओं में समय नहीं दे सकते थे…और कुछ गिनती के ही रिश्तेदार और दोस्त थे इनके सामाजिक दायरे में।

शादी के बाद नीलेश घर के उदासीन माहौल एवं अकेलेपन से दूर जाना चाहता था। विदेश में बसना चाहता था। माता-पिता भी दो-तीन वर्षों में रिटायर होने वाले थे।

 

माता-पिता :- नीलेश अब तुम विदेश मत जाओ हमेशा के लिए…

नीलेश :- मम्मा पापा आप लोगों ने भी अपने करियर के लिए मुझ पर कभी ध्यान नहीं दिया। हां मैं मानता हूं कि… मुझे कभी पैसों की कमी नहीं होने दी, मेरे पास सुंदर व महंगे खिलौने, ब्रांडेड कपड़े और फुटवियर से अल्मीरा भरी रहती थी। मुझे पालने के लिए नैनी थी…बस आप दोनों का समय, प्यार व साथ कभी नहीं था मेरे पास…अब मैं भी अपने कैरियर के लिए विदेश जाना चाहता हूॅ॑… क्योंकि आप लोगों के साथ रक्तसंबंध वाला लगाव कभी नहीं रहा।

माता पिता दोनों निरुत्तर हो गए…

( पांच वर्ष बीत गए माता-पिता भी रिटायरमेंट के बाद घर पर नौकरों के भरोसे रहते हैं )

दीवार पर नीलेश के बेटे सैम की फोटो लगी हुई है… 5 वर्ष का हो गया है…! बूढ़ी आंखें फोटो को ताकते हुए अपने नीलेश को कहीं ढूंढ रही हैं। घर में पसरे मौन और अकेलेपन के बीच…

रीटा :- सैम जल्दी करो बेटा स्कूल बस का समय हो गया है रीटा ने वाटरबोटल और बैग उठाते हुए कहा…

(शाम का समय रीटा और नीलेश कॉफी पी रहे हैं)

तभी… सैम दौड़ता हुआ आता है…

सैम :-पापा… आज मैम ने फैमिली रिलेशनशिप के बारे में पढ़ाया और फैमिली ट्री बनाने को कहा।

सैम :- मम्मा पापा फैमिली रिलेशनशिप क्या होती है?

नीलेश ने सैम को पास में बैठाकर कहा बेटा हमारे और तुम्हारे बीच पेरेंट्स और बेटे का रिलेशन हैं… हम आपके मदर एंड फादर हैं।

सैम :- पापा नीस, नेफ्यू और कजिन क्या होते हैं?

सैम के प्रश्न रुक ही नहीं रहे थे…

सैम :- पापा सिबलिंग का क्या मतलब होता है?

नीलेश ने सैम को बहुत समझाने की कोशिश की कि…सिबलिंग भाई बहनों के बीच के रिश्ते को कहते हैं तुम्हारा यदि कोई रियल ब्रदर या सिस्टर होता तो उसे सिबलिंग्स कहते।

अब सैम परेशान होकर उदास बैठ गया कि… मेरा कोई सिबलिंग नहीं है, मेरे कोई रिलेशंस नहीं है, मैंने ग्रैंड पेरेंट्स को भी कभी नहीं देखा… अब मैं फैमिली ट्री कैसे बनाऊंगा…

और सैम रोने लगा कि… पापा अब मैम तो मुझे बड़ी वाली चॉकलेट भी नहीं देंगी…

(नीलेश के आंखों के सामने उसका बचपन आ गया चलचित्र की तरह…)

नीलेश के दिमाग में भी ऐसे ही प्रश्न घूमते थे जिनके उत्तर वह नैनी से पूछता था जब उसे उत्तर नहीं मिलते थे, तो वह उदास हो जाता था और अकेलापन उसे बहुत सतता था…

आज बेटे के रूप में उसके सामने उसका बचपन खड़ा था…

यह विडंबना है एकल परिवार की जो विकृति की भांति है… जिसने रिश्ते, संस्कृति व सामाजिक व्यवस्था को खत्म कर परिवार को विकलांग कर दिया है।

 

विनीता सिंह चौहान

इंदौर, भारत

0
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments