सोशल डिस्टेंसिंग और सोशल नेटवर्किंग

सोशल डिस्टेंसिंग और सोशल नेटवर्किंग वैश्विक बीमारी कॉरोना ने आज विश्व की तमाम जनसंख्या को घर की चारदिवारी में क़ैद करवा दिया है । ” सोशल डिस्टेंसिंग ” आम बोलचाल का शब्द हो गया है , जिसका अर्थ भी सबको समझ में आ रहा है । समाज में पिछले कुछ वर्षों के प्रचलन पर ध्यान…

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मानवता और सामाजिक बदलाव

मानवता और सामाजिक बदलाव..! कोरोना एक वैश्विक महामारी ही नहीं है बल्कि समस्त विश्व के समक्ष एक चुनौती है।यह केवल मानव जीवन को ही नहीं बल्कि मानव सभ्यता द्वारा निर्मित प्रत्येक क्षेत्र पर घातक प्रहार कर रहा है।कोरोना से बचाव के लिए न कोई दवाई हैं और ना ही कोई वैक्सीन।इससे बचाव का एकमात्र उपाय…

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चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की संदेहास्पद भूमिका

चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की संदेहास्पद भूमिका आज पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में है।यह महामारी चीन के वुहान शहर से शुरू होकर पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया।लक्षण देखें तो तेज बुखार सरदर्द, बदन दर्द, निरन्तर खाँसी, स्वास नली में संक्रमण तथा सांस लेने में तकलीफ इसके मुख्य लक्षण है।…

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कोरोना : क्राइसिस या कच्चा माल ??

कोरोना : क्राइसिस या कच्चा माल?? आज जब सम्पूर्ण संसार कोरोना वैश्विक महामारी से जूझ रहा है, वो भी बिना किसी अस्त्र/शस्त्र के, क्योंकि ना तो इसका निदान है और ना हीं उपचार। भारत जैसे लोकतंत्र के लिए यह क्राइसिस और भी भयावह हो जाती है! यह सर्वविदित है कि भारत की अपार जनसंख्या और…

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लॉकडाउन

लॉकडाउन ‘कैद में है बुलबुल सय्याद मुस्कुराय’ कोरोना जनित लॉकडाउन में कुछ ऐसा ही महसूस हो रहा है।आज आवश्यक है कि कोरोना जनित लॉकडाउन पर विचार हो ।यह सामयिक है और हम उसमें से होकर गुजर भी रहे हैं।कोरोना के आतंक से भयभीत तो हैं ही बचाव के लिए कमर भी कसे हुए हैं। लॉकडाउन…

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याज्ञवल्क्यस्मृति

याज्ञवल्क्यस्मृति आपने मनु स्मृति का नाम खूब सुना होगा। मगर बहुत कम लोगों ने याज्ञवल्क्य स्मृति का नाम सुना होगा। वैसे तो हिन्दू धर्म में न्याय और सामाजिक व्यवहार पर केंद्र 18 से अधिक स्मृतियां रची गयी हैं। मगर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत का संविधान बनने से पहले तक हिंदुओं के लिये…

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सतरंगी संस्कृति के रंग

सतरंगी संस्कृति के रंग होली की फगुनाहट हवा में घुल रही है घुलनी भी चाहिए…… साल भर बाद होली आ रही है । पर क्या इस बार भी केवल बचपन की मधुर स्मृतियों के रंगो से ही होली खेली जाएगी या यादों के झरोखों से बाहर गली में भी झाँकना ताकना होगा? क्या सिर्फ़ गुज़रे…

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महिला सशक्तिकरण/सक्षमीकरण

महिला सशक्तिकरण/सक्षमीकरण वैसे भी महिला सशक्तिकरण पर लिखना ही अपने आप को “अबला” साबित करना है, हमे अपने आप पर लिखना ही एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है.. क्यों?? लिखने पर पाबन्दी नही है, खुब लिखे पर,खुद के लिए दया, विफल नारी, आश्रित,कहकर मत लिखिए, “नारी”ईश्वर की अनुपम और सर्वश्रेष्ठ कृति,सृजन करने वाली,और जब वह सृजन…

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वसीयत

वसीयत दिन – रात, सोते- जाते ,उठते- बैठते, एक ही ख्याल, एक ही बात , एक ही विचार, अपनी लाडली के नाम वसीयत में क्या करूँ ? क्या दूँ उसे जो उसकी मुस्कान सदाबहार बनी रहे ? क्या करूँ उसके नाम कि उसकी आँखों में बिजलियाँ चमकती रहें, क्या लिख दूँ जिसे पाकर वह सनातन…

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शिक्षा – क्या और क्यों

शिक्षा – क्या और क्यों इसी वर्ष जनवरी के महीने में एक अन्तरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस के दौरान नागालैंड के राज्यपाल पी बी आचार्य को सुनने का मौका मिला । अपने संभाषण के दौरान उन्होंने जो एक बहुत गूढ बात कही वो ये थी कि ” शिक्षित वो नहीं जिसके हाथ में सर्टिफिकेट का भंडार हो बल्कि…

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