घरेलू हिंसा

  घरेलू हिंसा मुझे हिंसा अपने आप में ही बहुत बुरी लगती है ।आमतौर पर लोगों को ऐसा लगता है कि हम हिंसक हो जाएंगे तो हमें हमारा हक मिल जाएगा , लोग हम से डर जाएंगे लेकिन यह गलतफहमी है ।हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है ।जब यहीं हिंसा घर में होने…

Read More

“यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते  तत्र देवता”

“यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते  तत्र देवता” नारी के बिना इस सृष्टि की कल्पना करना संभव ही नही है। युवा हो या अधेड़ या हो वृद्ध। सभी पुरुषों को यह समझना जरूरी है। आज छोटी बच्चीयों से लेकर वृद्ध महिलाएं सुरक्षित नही है ,यह 21 वी सदी में रहते हुए भी बड़ी वेदना की बात है।…

Read More

पचास की दहलीज पार करती औरतें

पचास की दहलीज पार करती औरतें ये पचास की दहलीज पार करती औरतें वाकई बहुत विचित्र होती हैं, एकदम समझ से परे.. कई बार लगता मानों समेटे हों कितने गहरे राज अपने भीतर बिल्कुल सीप में मोती के मानिंद.. दबाए रखती हैं कितने एहसास चेहरे पर बढ़ती झुर्रियों में और फिर उन्हें में मेकअप की…

Read More

महिला सशक्त भी है और सक्षम भी

महिला सशक्त भी है और सक्षम भी महिला सशक्तिकरण और सक्षमीकरण की नारेबाजियों का दौर है। जो मन में अनेक विचारों को जन्म देता है। मैं स्वयं एक स्त्री हूँ,.. स्त्री वर्ग के लिए आगे आकर कार्य करती हूँ, सृजन के क्षेत्र में स्त्री विमर्श से बचती हूँ क्योंकि मैं स्त्री पुरुष के विमर्श की…

Read More

सिर्फ एक देह नहीं है औरत

*सिर्फ एक देह नहीं है औरत* ================ ” *औरत काम पे निकली थीं* *बदन घर रख कर* *ज़िस्म खाली जो नज़र आए तो मर्द आ बैठे*  !! “ औरत की आजादी की बात जब भी की जाती है तो एक सवाल अब भी जेहन में कौंधता है कि क्या औरत का अस्तित्व सिर्फ एक शरीर…

Read More