जीना सिखाया

जीना सिखाया

ज्ञान का दीपक कर उजागर
शिक्षक आपने जीना सिखाया
कभी डांट कर कभी प्यार से
जीवनबोध का पाठ पढ़ाया।

याद आती है कक्षा मे जब
उत्सुक नजरों से घूरते थे सब
अनायास व्याख्यान कौशल से
तात्विक बातें हमें समझाया।

कठिन पाठ को सरल बनाकर
रोचक ढंग से प्रस्तुत करते
सोचते थे हम, कैसे अनर्गल
बिन देखे सब याद रख पाते।

अशुद्घियों का कर संशोधन
हमें कुशल व निपुण बनाया
सटीक मार्गदर्शन द्वारा
जीवनरथ को आगे बढ़ाया।

हमारे हर एक क्रिया के पीछे
सुप्त था आपका प्रोत्साहन
आज जो भी बन पाए हम
शत् प्रतिशत है आपका अवदान।

द्रवित हो उठता है मन
जब करते है आपको स्मरण
भ्रमित थे तब कहां पता था
आपका मूल्य, है सुधीजन।

नि:स्वार्थ प्रेम और सेवा के संग
सही गलत का बोध कराया
दिव्यता का ज्योति बिखेरे
प्रज्ञा आलोक हममें जगाया।

पमेला घेाष दत्ता
शिक्षिका
जमशेदपुर,झारखंड

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