बड़े घर की बेटी

बड़े घर की बेटी भारतीय समाज में भारतीय संस्कारों को सही स्वरूप में जन मानस के समक्ष लाने में मुंशी प्रेमचंद के अवदान को हम “मील का पत्थर” मानते हैं । उनका साहित्य उस आम समाज की कहानी कहता है जो रहता तो हर काल में है परन्तु उसे कलम बद्ध करना अपनी जिम्मेदारी समझी…

Read More

गुलाब

गुलाब फूलों का ये राजा है सबके दिल को भाता। प्यार बांटता सारे जग को कांटों में मुस्काता। लाल गुलाबी नीले पीले कितने रंग तुम्हारे। प्यार बढ़ाते तुम आपस में सबका दिल हर्षाता।। सबके मन के बगिया में तुम प्यार खिलाते हो। मनमोहक रंगों में खिल कर सबको भाते हो। मन का भौरा गुनगुन करता…

Read More

भारत के महानायक:गाथावली स्वतंत्रता से समुन्नति की- डॉ बिधानचंद्र राय

भारत रत्न डॉ बिधान चंद्र राय  (चिकित्सक,स्वतंत्रता सेनानी समाज सेवी राष्ट्र निर्माता) डॉ बिधान चंद्र रॉय जी को  भारत और विश्व में एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी वरिष्ठ चिकित्सक, शिक्षाविद, निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी,कुशल राजनीतिज्ञ और प्रसिद्ध समाज सेवक के साथ-साथ आधुनिक भारत के राष्ट्र निर्माता  के रूप में बड़े ही श्रद्धा और सम्मान से स्मरण…

Read More

स्वतंत्रता आनंदोलन के प्रथम क्रांतिकारी

स्वतंत्रता आनंदोलन के प्रथम क्रांतिकारी हम लोगों मे से कुछ लोगों ने तिलकामांझी का नाम विश्वविद्यालय के नाम के रूप मे सुना होगा जबकि कुछ ने भागलपुर शहर के एक चौक चौराहे के रूप मे जो कुछ लोग थोड़े से खोजी स्वभाव के होंगे उन्होंने बाबा तिलकामांझी को प्रथम क्रांतिकारी के रुप जाना होगा जबकि…

Read More

हे माँ शारदे

हे माँ शारदे अंतर्मन में बसी है मूरत मनमोहिनी प्रेममयी सूरत हे माँ वीणावादिनी शारदे कृपा कर माँ, आशीष वर दे। शुक्ल पंचमी के पावन तिथि पर आती तू जब इस धरा पर बसंत के बयारों को साथ लाती नए प्रेम की कलियाँ खिलाती बाल वृद्ध में उमंगें भरती नव जीवन का आह्वान करती हे…

Read More

“कलम आज उनकी जय बोल “

“कलम आज उनकी जय बोल “ प्राण हाथों मे हैं लेकर रहते निडर दुश्मन से भीड़ हैं जाते रक्षा थल वायु जल में करते देश पे जान न्यौछावर जय बोल कलम आज उनकी जय बोल दृढ़ संकल्प वीरता भाषा उनके त्याग तपस्या से वे ना मुख मोड़े निश्छल जीत उनके मन लुभाये माता भारती उनके…

Read More

कंकालें पतवारों की

    कंकालें पतवारों की   हांफ रही थी वह….. पसीने से लथपथ…… सांसे तेज चल रही थी……… और कितनी गहरी खुदाई…..? इतनी रात इस मरघट में वह क्या ढूंढ रही थी ? .….. अचानक चीख पड़ी..…….यह क्या….?  यहीं तो मैंने उन पतवारों को दफनाया था । इतनी जल्दी कंकाल में कैसे बदल गये ?…

Read More

मैं आप की बेटी हूँ

मैं आपकी बेटी हूँ मैं उन सब बेटियों की तरफ से लिख रही हूँ जिन्हें अपनी बात रखने का कभी मौका नहीं मिला। कभी संकोचवश, कभी आदतन। घर की दहलीज के भीतर रहने वाली बेटियाँ, कदमताल पर आगे चलने वाली बेटियाँ — कुछ व्यथाएँ अनकही रह गई। लेकिन बाबा, अब्बू, बाबू जी, पापा की लाड़ली…

Read More

बर्फीले  मौसम  में  हृदय  की  ऊष्णता

बर्फीले  मौसम  में  हृदय  की  ऊष्णता बात सन १९८६  की है। जनवरी का महीना था।अब तो बहुत वर्षों से इंग्लैंड में बर्फबारी हुई ही नहीं है। हफ्ते या दो हफ्ते हलकी फुलकी बर्फ गिरी भी तो दो चार दिन में गायब हो गयी।मौसम बदल गए हैं। नदियों के स्रोत पिघलने लगे हैं।इस बार इंग्लैंड में…

Read More