ऑटिज्म

ऑटिज्म यह एक तरह का मानसिक रोग है। इस रोग के लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं। जन्म से लेकर 3 साल की आयु तक विकसित होने वाला ऐसा रोग है, जिससे बच्चे का मानसिक विकास रुक जाता है। ऐसे बच्चों का दिमागी विकास सामान्य बच्चे की तुलना में बहुत ही धीमी गति…

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हत्या की शिनाख़्त का सपना

हत्या की शिनाख़्त का सपना कोई नींद में बोल रहा था. नहीं, ये रात के सन्नाटे में किसी के फ़ोन पर झगड़ने की आवाज़ नहीं थी, ये एक बहकी हुई बेहोश आवाज़ थी, मैं अचानक डर गयी. यह आवाज़ नशे में बहकी हुई नहीं थी, नींद में बेहोश थी, लस्त पस्त। मैं उसे पहचानती थी….

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शत शत नमन

  शत शत नमन ममता से ओतप्रोत वे सभी ममतामयी सम्मानीय माताएं जिनका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही रूप से मेरे और मेरे अपनों के जीवन में महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं उन सभी माताओं एवं मेरी जन्मभूमि भारत माता के श्री चरणों में मैं सत् सत् नमन करता हूं एवं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं…

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ये अंतर्नाद है

ये अंतर्नाद है मेरा जन्मस्थल पाटलिपुत्र (पटना) वैदिक काल से ही अपना एक ऐतिहासिक गौरव समेटे हुए है। मेरे दादा मेवालाल लक्ष्मण प्रसाद जौहरी स्वतंत्रता सेनानी थे और अपने समय में पटना के प्रसिद्ध जौहरी भी थे।मेरे पिता जी राजा राम मोहन राय स्कूल में टीचर थे,बाद में कृषि विभाग में हो जाने पर सरकारी…

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वसीयत

वसीयत दिन – रात, सोते- जाते ,उठते- बैठते, एक ही ख्याल, एक ही बात , एक ही विचार, अपनी लाडली के नाम वसीयत में क्या करूँ ? क्या दूँ उसे जो उसकी मुस्कान सदाबहार बनी रहे ? क्या करूँ उसके नाम कि उसकी आँखों में बिजलियाँ चमकती रहें, क्या लिख दूँ जिसे पाकर वह सनातन…

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चौथा कंधा   

चौथा कंधा      रवि को आशा थी कि इस महीने के बाद लॉक डाउन खुल जाएगा और जिंदगी फिर पटरी पर आ जाएगी। मगर 6 हफ्ते लॉकडाउन और बढ़ने से उसकी चिंता बढ़ गई । उसने साजिद से कहा “हमने क्या सोचा था क्या हो गया ? यदि लॉकडाउन इसके बाद भी बढ़ा दिया…

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शहादत

शहादत शहादत जो हुआ सो हुआ अब तू संभाल ले खुद को दूर चलना है, रास्ता अभी बाकी आशाओं की तरह | आसान नहीं है रास्ता यहाँ जंगल भी है फूलों भरी बगिया भी, खूंखार शेर भी है मासूम तितली भी | फिर भी चलना है लक्ष्य के लिए और दिल में प्रेम लिए.. |…

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होली

होली आया होली का त्योहर घुम रही मस्तों की टोली करे खूब धमाल हमजोली रंगों की पिचकारी छूटी भूल कर सारे मलाल संग मिल हैं नाचे गाये बजा ढोल मृदंग मन तरंग गीत फागुनी मिल गायें उडा़ये गुलाल लिए उमंग पिचकारी की धार चले सखियों हँसती हैं संग मालपुवे की है खुशबू गुझिये संग हैं…

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नारी !

नारी ! प्रेम और ममता की मूर्ति त्याग और बलिदान का एहसास निज आंचल में समेटे सारी धरती सारा आकाश! जिसकी आंखों में है करुणा सहनशक्ति है जिसकी परिभाषा, निराशा के तम की जो दूर करे नारी ही है वो आशा!! नारी! पहचान है कोमल भावनाओं की तो कभी कठोरता की गर ये जननी है…

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भारत के महानायक:गाथावली स्वतंत्रता से समुन्नति की- राम प्रसाद बिस्मिल

राम प्रसाद बिस्मिल सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजूए-कातिल में है इन पंक्तियों को आत्मा में उतार कर कोई जिया हो तो वे हैं राम प्रसाद बिस्मिल। भले ऐसा समझा जाता है इनके रचयिता वास्तव में बिस्मिल अजिमाबादी थे। ११जून १८९७ को शाहजहाँपुर गाँव में पंडित मुरलीधर और…

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