हे माँ शारदे

हे माँ शारदे

अंतर्मन में बसी है मूरत
मनमोहिनी प्रेममयी सूरत
हे माँ वीणावादिनी शारदे
कृपा कर माँ, आशीष वर दे।

शुक्ल पंचमी के पावन तिथि पर
आती तू जब इस धरा पर
बसंत के बयारों को साथ लाती
नए प्रेम की कलियाँ खिलाती
बाल वृद्ध में उमंगें भरती
नव जीवन का आह्वान करती
हे मां मंगलमयी शारदे
विघ्न बाधाएं दूर कर दे।

तंत्र मंत्र आचार विचार
नहीं किसी विधि की सख्ती
अर्चन हो केवल मनोद्गार
शुद्ध चित्त आनंदमय भक्ति
अनुष्ठान हो, वर्जित आडंबर
स्थिरता दे माँ अचला शक्ति
हे माँ कल्याणमयी शारदे
हर जीवन में खुशियां भर दे।

महान देश के धर्म सनातन
परंपरा यह बहु पुरातन
न आदि न अंत निरंजन
तेरी महिमा सत्य चिरंतन
अर्पण चरणों में श्रद्धा सुमन
भगवती करूँ तेरी मैं वंदन
हे मां ज्ञानदायिनी शारदे
झूठे अहम् से मुक्त कर दें ।


पामेला घोष दत्ता
जमशेदपुर,झारखंड

0
0 0 votes
Article Rating
367 Comments
Inline Feedbacks
View all comments