शरद का चांद ..डाकिया अनकही बातों का

“शरद का चांद ..डाकिया अनकही बातों का ” जाने किस बात पर घबराई सी खरगोश की तरह दुबकी फिरती वह जब-तब घर से बाहर निकल बगीचे में चली आती। गमलों की ओर मुंह किये नीची नजर में फूलों के साथ खामोशी से लगातार बात करती रहती । खिले-खिले स्थिर फूलों को देखकर वह अक्सर सोचती…

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दोगले इंसान

दोगले इंसान सहमी खड़ी है इंसानियत कौन मसीहा कौन हैवान ! सोच-समझ चली चालों को फिर दे देते हादसों का नाम ! पूज कर कन्या रस्म निभाते नज़रों में छुपा रखते शैतान ! ओढ़ मुखौटा धर्म-कर्म-कांड पूजते अल्लाह औ भगवान ! पत्थरों में दिखता जिनको ईश् जीवों की पीड़ा से वो अनजान ! पढ़ न…

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रमजीता पीपर

रमजीता पीपर रमजीता पीपर से गाँव की पहचान है या गाँव से इस पीपल के पेड़ की इसके बारे में दद्दा से ही पता लग सकता है। दद्दा की उम्र बहुत अधिक नही है, यही 70 के लगभग, पर लोग उन्हें दद्दा कहने लगे हैं, शायद उनके ददानुमा कहानियों और बातों के कारण हो, या…

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बसंत

बसंत पतझड़ से शोभाहीन हुई, प्रकृति के नव शृंगार को। पिछले बरस की नीरसता हटा, आस के फूल पल्लवित करने को। वन उपवन को पुनर्जीवन देने, है एक और बसंत आने को। अंतर्मन में कहीं सुप्त पड़ी, मानवता झकझोरने को। एहसासों को अंकुरित कर, रिश्तों को नई तरंग देने को। काश, इस बार बसंत आए…

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माँ

मां गोद में जिसके जन्नत होती है वो मां होती है लुटाती है जो खज़ाना ममता व प्यार का वो मां होती है बहलाती, फुसलाती, दुलारती है तो, वो डांटती भी है डांटकर खुद आंसू बहाती और फिर रूठे को मनाती भी है बिन कहे बात दिल की हमारी वो जान जाती है समस्या हमारी…

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