कैसी कायरता

कैसी कायरता

रावण के वंशज ,
तुमने यह कैसी कायरता दिखलाई है
पीठ में छुरा घोंपकर,
कैसी हैवानियत दिखलाई है
चवालीस घर का दीपक बुझाकर,
यह कैसा अन्याय किया
पुलवामा की धरा पर यह कैसी क्रूरता दिखलाई है
वीर सपूतों का बदला लेकर रहेंगे
शहीदों की शहादत लेकर रहेंगे
कैसी छीना -झपटी चाल है तेरी
रक्तपिपासु ,तेरा अमन चैन छीन कर रहेंगे
जिन आतंकवादियों पर अकड़ रहे तुम
मौत उसी में लिपटी है
क्रूर आसुरी बल पर यह
कैसा प्रहार किये तुम
पीठ में वार कर , यह कैसा विभत्स कार्य किया
माँ दुर्गा का देश है यह
नर ही नहीं नारी भी संहार करती है
अर्जुन का देश है यह
हर घर में वीर बसते हैं
आतंकी को पनाह देने वाले,
गर्त में मिला देंगे
भीख हे निर्वाह करने वाले
दोजख भी नसीब न होने देंगे
संभल जाओ कायर,
नहीं तो चूर कर देंगे अभिमान
व्यर्थ न होने देंगे,आहूति शहीदों के
ज्वालामुखी बन धधक कर
हर लेंगे सबके प्राण।

डॉ रजनी दुर्गेश
हरिद्वार, उत्तराखंड

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