नारी बिन संसार
नारी बिन संसार गर जग में नारी ना होती, चैन से सारी दुनिया सोती, ना बाजार, न दफ़्तर होते, लोग सिर्फ़ पेड़ों पर सोते, माल ना होटल कुछ न होते, घास-पूस के जंगल होते, ट्रेन न मोटर, बोट न रिक्शा, स्वयं लोग करते निज रक्षा, ना मकान, ना फ़्लैट न खोली, करवाचौथ, न ईद, न…