मानवता की ओर

मानवता की ओर

जमशेदपुर की सबसे चर्चित चेहरों में से एक हैं बेहद ही खूबसूरत,हंसमुख मिलनसार,कर्मठ,संवेदनशील एवं दयालु इतनी की दिन रात समाज के उत्थान एवं कल्याण के लिए के पूर्ण रूप से समर्पित रहतीं हैं। आज हम मानवता की ओर में जानीमानी समाजसेविका, सांस्कृतिक कार्यकर्ता एवं साहित्यकार पूरबी घोष से बातचीत करेंगे जिससे हम उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सकें।

प्रश्न-आप के अनुसार समाज को सबसे अधिक किस प्रकार की सेवा की आवश्यकता है ?

उत्तर- सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्र में जरूरतमंदों एवं कलाकारों को सहयोग एवं शिक्षा के क्षेत्र में मेधावी छात्रों को आगे बढ़ाने में तत्पर रहती हूँ।मेरी बस इच्छा मात्र यही रहती है कि कोई भी कलाकार या विद्यार्थी आर्थिक तंगी के कारण उसके टैलेंट या कैरियर पर कोई प्रभाव न पड़े।बस इसीलिए जो बन पड़ता है ,करने की कोशिश करती हूं।

प्रश्न- इन जरूरतमंदों से आप किस प्रकार संपर्क करती हैं?

उत्तर-मैं लगभग 45 सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं और संगठनों से जुड़ी हुई हूँ। जिससे मैं इन लोगों तक संपर्क बना लेती हूं

प्रश्न -आपके मन में समाज सेवा के भाव कब जागृति हुई?

उत्तर- बचपन में एक बार विवेकानंद जी की जीवनी पढी थी । मैं उससे इतना अधिक प्रभावित हुई की तभी से मेरे मन में समाज सेवा के प्रति भावना जागृत हुई।

प्रश्न- आपका साहित्य से लगाओ भी किसी से छुपा नहीं है कुछ उसके बारे में भी बताएं ।

उत्तर – मुझे बचपन से ही अपनी भावनाओं को कलम के माध्यम से व्यक्त करने की आदत है ,जो अभी भी जारी है।मैं अधिकत्तर बंगला भाषा में ही लिखती हूँ।विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।बांग्लादेश में आयोजित सुवर्णारेखा नंदिनी साहित्य गोष्ठी में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हूं। मैं निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन , झारखंड बंग भाषी समन्वय समिति, झारखंड बंगाली समिति, अरविंद सोसाइटी, सहयोग , जनवादी लेखक संघ, तुलसी भवन से जुड़ी हुई हूं ।

प्रश्न -आपकी चेस प्लेयर और आर्बिटर के रूप में भी पहचान है कुछ उसके बारे में भी बताइए।

उत्तर- मैं झारखंड की एकमात्र महिला आर्बिटर हूं । मैं 15 वर्षों तक लगातार ऑल इंडिया एलआईसी चेस गेम में हिस्सा ले चुकी हूं। अधिकतर बार चैंपियन रही ।मेरे मौसा जी के कारण ही मेरी चेस में रुचि हुई थी।

प्रश्न- आप कैसे संतुलित कर पाती हैं घर और समाज के प्रति अपने जिम्मेदारियों को?

उत्तर-मैं केवल कोशिश करतीं हूँ कि अपने सभी जिम्मेदारियों को निभा सकूँ।घर और समाज के प्रति अपने जिम्मेदारियों को संतुलित कर पाना मुश्किल है जब तक कि आप को घर परिवार से सहयोग न मिलें।जिससे मेरे पति की भूमिका केवल सराहनीय नहीं बल्कि महत्वपूर्ण है।पति और बच्चों के समर्थक और सहयोग के कारण ही मैं अपने कार्यों में पूरा समय दे पाती हूँ।

प्रश्न-अपने पति और परिवार के बारे में बताएं।

उत्तर- मेरे पति श्री गौतम घोष जो कि विकास अधिकारी हैं एवं बड़ा बेटा एक प्रतिष्ठित जर्मन कंपनी SAP में कार्यरत है । छोटा बेटा भी बेंगलुरू में कार्यरत है।

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