कैसे रहा जाए बी पॉजिटिव?

कैसे रहा जाए बी पॉजिटिव?

जब चारों तरफ मचा हो हाहाकार, पूरे विश्व में कोरोना नाम के इस मर्ज ने आफत मचा रखी है।वैज्ञानिकों की एक साल की मेहनत,वैक्सीन के रूप में मिली है लेकिन अभी भी पूर्णत संतुष्टि नहीं मिल पाई । लोग वैक्सीन लेने के बाद भी इस रोग की चपेट में आ ही रहे हैं। अब तो इस रोग के संक्रमण हवा में भी पाए जाने लगे अगर इसे यूँ ही लापरवाही से हल्के में लेते रहे तो…तीसरी लहर से कोई नहीं बच सकता। अब जागने की बारी है सचेत और जागरूक होकर हमें इससे लड़ना होगा। पहले सोचते थे विदेशों में है, फिर देश में आया और अब शहर में आकर घर तक पहुँच गया। इतना आसान भी नहीं है इससे लड़ना…दूर के रिश्तेदारों को हुआ तो सलाह देते रहे,ये करो वे करों लेकिन जब खुद की बारी आई तब समझ में आया हालातों से लड़ना कितना मुश्किल होता है।
सड़को पर सन्नाटा छाया है…लेकिन एम्बुलेंस की आवाज हर पल कानों में गूंजती रहती हैं, तो सहमा हुआ-सा मन सवाल कर उठता है आज किसकी सामत आई। कैसे पॉजिटिव रहा जाए उन छोटे-छोटे बच्चों की तरफ देख…जिसके माता-पिता दोनों ही इस काल के मुंह में चले गए। मात्र 15 दिनों का वैवाहिक जीवन और पति साथ छोड़ गया, सोचकर ही सिहर उठता है मन ,कैसा कठिन होगा आगे का जीवन ? जिसकी पत्नी पहली बार गर्भवती हो और अपने बच्चे को देखे बिना ही पिता, जिंदगी के सफर से रुख़सत हो जाए। सबसे बड़ी विडम्बना…बैड नहीं मिलना,आँक्सीजन की कालाबाजारी और कलेजा तो तब फट गया तब एक दोस्त का फोन आया माँ को जलाने के लिए लिए 26 घंटे से लाइन में खड़ा हूँ प्लीज किसी की सिफारिश दिलवा दें। सोचा नहीं था कभी ऐसे हालात होगें।
व्यथित होता मन…उदास होता माहौल बस नकारात्मक प्रभाव ही छोड़ जाता हैं।

कोरोना शब्द से अब दहशत के साथ नफ़रत होने लगी है। अनेकों लाशों का ढेर…महाभारत युद्ध की याद दिलाता है, लेकिन इस युद्ध में दुश्मन ने निहत्था होते हुए भी,भारी तबाही मचा रखी है।निशाना बस मनुष्य की देह…कुछ तो गलतियाँ हुई होगी जिसकी सजा हमें मिल रही है। चारों तरफ नकारात्मक प्रभाव देख मन कुछ भी अच्छा सोच ही नहीं पाता… वो इसलिए भी…क्योंकि हमारा मस्तिष्क इसी सोच को ग्रहण किए रहता है ऐसी बात नहीं है कि लोग ठीक नहीं हो रहे है। बड़ी संख्या में लोगों ने कोरोना को हराया भी है।

नतमस्तक उन लोगों के सामने जिन्होंने अपनी जान की परवाह किये बगैर लोगों की मदद के लिए अपने घर द्वार खाली कर दिए और भी अन्य कई प्रकार की मदद के लिए आगे बढे़ हाथों को भगवान सलामत रखें। कुछ लोग अपनी जान की परवाह किये बगैर कोरोना से लोहा लेने में जुटे हुए है। इसको परास्त करके दम लेने की जिद्द…हौसलों में परिवर्तित होती नजर आ रही हैं।

मंजू शर्मा
भुवनेश्वर
ओडिशा

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