फूलों की वर्षा

फूलों की वर्षा

सुबह-सुबह प्रधानमंत्री की घोषणा सुनाई दी- “कल हैलीकाप्टर से सिंगापुर का झंडा फहराया जाएगा और नर्सों-डाक्टरों पर फूलों की वर्षा की जाएगी।”

घोषणा सुनकर “टियन” तिलमिला उठी…अभी तो उसे देश भर के अस्पतालों और क्मयूनिटी केयर सेंटरस के लिए कितनी सारी चीजों की ज़रूरत है! यह क्या नौटंकी सूझी है सरकार को?

सिंगापुर में सब कुछ नियंत्रण में था। सरकारी सहायता, प्रतिबंध, तकनीक और दशकों से लोगों की नियम मानने की आदत ने देश को कोविड-पछाड़ दौड़ में आगे रखा हुआ था। बस एक चूक हो गई थी- हजारों विदेशी मज़दूरों से भरी डॉरमेट्रीस में कोविड-19 का संक्रमण यांग्त्से और गंगा के मिले-जुले प्रवाह सा बह चुका था। पहले तो घबराए हुए बीमार गरीब, उस पर विदेशी! सिंगापुर के कोविड नियंत्रण टीम के प्रमुख डॉ टॉन ने एस.जी.यच से बस एक ही माँग की – “वाई टियन।”
नर्सिंग में मशीनी तीमारदारी के साथ प्रेम को कितना और कब मिलाना है यह वाई टियन से बेहतर कोई नहीं जानता था। उसको कई बार सिंगापुर की सर्वश्रेष्ठ नर्स का ख़िताब मिल चुका था।

टियन ने सारे नर्सिंग रोस्टर संभाले, नर्सों का मनोबल बनाए रखा।सेनिटाइज़ेशन में कार-आदमी-मशीनें, किसी को न छोड़ा। चीनी सप्लायर से अपने बढ़िया ताल्लुक़ात के चलते पी.पी.ई. किटस् का प्रवाह बनाए रखा।

कुछ ही दिनों में तमिल मज़दूरों के लिए केन्टीन में सांभर बनने लगा।बांग्लादेशी लोगों के लिए दूतावास से बांग्ला बोलने वाले सव्यंसेवकों का इंतज़ाम हो गया। ज़िन्दगी-मौत से जूझते मज़दूरों के साथ वह स्वयं भी दिन-रात लगी रही। हज़ारों मरीज़ मौत के मुँह से बाहर निकल आए।

देखते-देखते सात महीने कैसे गुज़र गए पता ही नहीं चला। सात महीने से उसने अपने पति या छुटकी सी बिटिया को गले नहीं लगाया था। धीरे-धीरे वह सब शारीरिक और मानसिक रूप से टूटने की कगार तक पहुँच गए थे!

शाम को डॉ टॉन का फोन आया, “टियन, तुम कल दस बजे एस.जी.एच आ जाना, ग्यारह बजे फूलों की वर्षा होगी।”
वह सालों से टॉन को जानती थी, उनके चिकित्सकीय समर्पण से उसने बहुत कुछ सीखा था। वह कुछ बोली नहीं, बस कहा, “कल दस बजे घर जाना है डॉक!”

अगले दिन जब टियन ने घर की घन्टी बजाई तो थके हुए पति ने दरवाज़ा थोड़ा सा खोल कर चेन लगा दी। “क्यों, छुट्टी मिल गई?” पति ने पूछा।
टियन ने संकोच भरा जवाब दिया, “बस एक बार दूर से “मे-मे” को देख लूँ, फिर जाना होगा।”
थकान, अकेलेपन और डर से उकताए हुए पति का पारा चढ़ गया,”तुम्हें हमारी परवाह कब है? मे-मे सो रही है।”
टियन ने तड़पते हुए कहा,”मेरे भेजे हुए कपड़े मिले उसको?”
“नहीं…अब तुम जाओ”, डपटते हुए पति ने कहा।

वह घिसट कर चलते हुए पास वाले बस-स्टैंड पर बैठ गई। इतने में घड़घड़ाते हुए हैलिकॉप्टर सिंगापुर के झंडे को फहराते हुए धीरे-धीरे आसमान पर छा गए।
नन्हीं मे-मे भाग कर घर से निकली और बॉलकनी में आ कर ज़ोर-ज़ोर से हाथ हिलाने लगी। उसने टियन की भेजी हुई लाल फ्राक पहन रखी थी।
अचानक टियन को लगा कि उस पर कोई लाल फूलों की वर्षा कर रहा है।वह भी मुस्कुराते हुए हैलिकॉप्टर को हाथ हिलाने लगी।

शार्दुला नोगजा,
सिंगापुर

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