प्रेमचंद की कहानी”बड़े भाईसाहब”- एक विश्लेषण

प्रेमचंद की कहानी”बड़े भाईसाहब”- एक विश्लेषण कहानी का सार… प्रेमचंद जी की सभी सशक्त और जीवंत रचनाओं में मुझे “बड़े भाई साहब” नामक कहानी अत्यंत ही आकर्षित करती है। इस कहानी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पाठकों का मनोरंजन करती हुई आज भी उतनी ही प्रासंगिक है और शिक्षा प्रणाली पर चोट…

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रास्ते और भी हैं

रास्ते और भी हैं “बोलो बाँके बिहारी लाल की जय ! बोलो बंसी वाले की जय ! जय जय श्री राधे…..!” और असंख्य स्वर एक साथ दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए दंडवत प्रणाम करने लगते हैं। नित्य प्रतिदिन मंगला झांकी का यही दृश्य होता है। आरती आरम्भ हो चुकी है। नेत्र बन्द किए पद्मा ध्यान…

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प्रेमचंद की “सुहाग की साड़ी”

प्रेमचंद की “सुहाग की साड़ी” मानवीय संवेदना के कुशल चितेरे, नव जागरण के प्रणेता, सर्वहारा की प्रखर वाणी और तत्कालीन समय को अपनी लेखनी से जीवंत करने वाले, सकारात्मक ऊर्जा की आभा से नव दीप प्रदीप्त करने वाले सर्वकालिक महान लेखक, चिंतक और कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं । मुंशी जी…

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