रश्मिरथी: राष्ट्रकवि की रचनाओं में मेरी अति प्रिय रचना

रश्मिरथी: राष्ट्रकवि की रचनाओं में मेरी अति प्रिय रचना युगधर्मा, शोषण के विरुद्ध विद्रोह को अपनी कलम की वाणी बनाने वाले , जीवन रस को ओज और आशावादिता से पूरित करने वाले, सौंदर्य और प्रेम के चित्र को भी अपने कलम की कूची से रंगने वाले रामधारी सिंह ‘दिनकर’  हिन्दी के एक प्रमुख राष्ट्रवादी एवं प्रगतिवादी…

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सोंधी मिट्टी का बिहार

सोंधी मिट्टी का बिहार दिशा – दिशा में लोकरंग का तार-तार है, महका-महका सोंधी मिट्टी का बिहार है ………………………………………… कहीं गूंजते आल्हा ऊदल के अफसाने, कजरी, झूमर और फगुआ के मस्त तराने, चौपालों में चैता घाटों की बहार है। उपर्युक्त बिहार गीत की रचयिता डाॉ शांति जैन ने अपनी रचना के माध्यम से एक आम…

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चलो, धरती को रहने योग्य बनाएँ

चलो, धरती को रहने योग्य बनाएँ प्रकृति और मनुष्य – दोनों जैसे न जाने कैसा लुका छिपी का खेल खेल रहे हैं। प्रकृति मनुष्य को बार-बार आगाह करती है और मनुष्य जैसे सब कुछ समझकर भी अनसुनी कर रहा है। पर्यावरण दिवस यानि कि 5 जून को हर वर्ष हम अपनी प्रतिज्ञा दोहराते हैं कि…

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पुनः पर्यावरण चिंतन

पुनः पर्यावरण चिंतन ५ जून विश्व पर्यावरण दिवस के नाम समर्पित है। फिर वही पत्र-पत्रिकाओं में कुछ संबंधित चित्र, आलेख, संचार माध्यमों में कुछ चर्चा- परिचर्चा, कुछ सरकारी घोषणाएं और कार्यक्रम। आवश्यकता है हम आमजन पर्यावरण को इसके स्थूल रूप से पृथक इसके वास्तविक रूप में ग्रहण करें। पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर…

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कोरोना और करूणा

कोरोना और करूणा पिछले एक साल में एक छोटे वायरस ने जिंदगी बिल्कुल ही बदल डाली। और इस बार तो इसने ठान ली है कि दुनिया को अपना लोहा मनवा कर ही दम लेगा। कोरोना की इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं। दुनिया मे इसके व्यवहार की चर्चा हो रही है, रिसर्च चल रहे हैं।…

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दधीचि के देश में

दधीचि के देश में देश युद्धस्तर पर कोरोनावायरस से लड़ रहा है।पूरे देश में आज लगभग सवा दो करोड़ लोग जो अलग-अलग स्तर के संक्रमण से गुजर रहे हैं, हमारी मदद और सकारात्मक पहल की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं, उन्हें इनकी बहुत आवश्यकता भी है। इस बीमारी के बदलते स्वरूप और…

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आदित्यपुर में बदलता पर्यावरण और हम

आदित्यपुर में बदलता पर्यावरण और हम झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड में आदित्यपुर क्षेत्र आता है l बीसवीं सदी तक आदित्यपुर में गाँव का वजूद मौजूद था l पेड़-पौधे थे, हरियाली थी और साफ-सुथरे जल स्त्रोत मौजूद थेl वर्तमान समय में आधुनिकीकरण और औद्योगिकीकरण की अंधी दौड़ में यह सब कुछ धूमिल…

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उगादि : एक नई शुरुआत

उगादि : एक नई शुरुआत “उगादि’ या ‘युगादि’ कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं महाराष्ट्र का बहुत अनूठा त्यौहार है। महाराष्ट्र में इसे ‘गुड़ी पर्व के नाम से जाना जाता है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के सभी क्षेत्रों में मनाया जाने वाला यह त्यौहार चैत्र (चैत) माह के शुक्ल पक्ष के पहले दिन मनाया जाता…

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तब से अब तक

तब से अब तक यह तो अब हम सब जानते हैं कि 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया में महिलाओं के जीवन में सुधार लाने, उनमें जागरुकता बढ़ाने जैसे कई विषयों पर जोर दिया जाता है। विचारणीय है दुनिया को इसकी जरूरत क्यों पड़ी! इसके लिए…

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सा, रे गा, मा, प…….

सा, रे गा, मा, प……. “गृहस्वामिनी” की संपादिका का आग्रह था कि “महिला दिवस” और उनकी पत्रिका के “महिला विशेषांक” के लिए हम उनको नामित करें जो कि हमें प्रेरित करती हैं, जो कि हरेक परिस्थितियों से जुझारू होकर जीना जानती है। आसपास देखा तो लगा कि हर महिला ही इस सम्मान की अधिकारी है।…

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