


वास्तविक आजादी से दूर
वास्तविक आजादी से दूर हम भारतवासी पिछले 70 वर्षों से आज़ादी की खुशफ़हमी में जरूर जी रहे हैं, परन्तु क्या वास्तव में हम स्वछन्द, स्वतन्त्र और निर्भीक जीवन बिता पा रहे हैं। आज भी देश का एक बड़ा वर्ग जीवन के मूलभूत आवश्यकताओं, जैसे, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्याप्त सन्तुलित आहार इत्यादि से भी वंचित है।…

तिरंगा हमारा
तिरंगा हमारा शान से लहराता रहे तिरंगा हमारा मुस्कुराता रहे यह संदा हिंदुस्तान हमारा संत्य चंमत्कार अद्भुत अलंकार,हमारा भारत की गर्भ में पलते वीर सपूत हमारा शान से लहराता रहे तिरंगा हमारा एकता की दीवारों में जगमगाता एक दीप हमारा भारत माता की जय, स्वरों से गूंजती धड़कनों की शाज हमारा आजादी के चौखट…

आखिर कब होगीं आजाद
आखिर कब होगीं आजाद इस बार का स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार हमारे देश को एक सूत्र में बांधने के लिए सरकार द्वारा एक विशेष कदम उठाया गया, जिससे आज जाकर हम सब एक हैं । यह कहावत चरितार्थ हुई है। आजाद हुए 70 साल हो गए हैं लेकिन…


सपनों का भारत
” सपनो का भारत “ हो न अमन की कमी इस जहां में मिलजुल सब रहें इस जहां में हर विस्थापितों को मिले आशियाना रहे अनाथ ना कोई इस जहां में आतंकी के आतंक का हो खात्मा उन्हें भी प्यार मिले इस जहां में बागों में खिले हर इक कली कहीं कुम्भला न जाए इस…
बुलंदियों के गगन में लहराएँ तुझे शान बान से
“बुलंदियों के गगन में लहराएँ तुझे शान बान से” हम कौन थे ,क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी, आओ विचारें आज मिलकर ये समस्यायें सभी । सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत देश अगर गरीबी, अशिक्षा ,बेरोजगारी आदि मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है तो…
स्वतंत्रता उर्फ़ स्वाधीनता या स्वछंदता,.?
स्वतंत्रता उर्फ़ स्वाधीनता या स्वछंदता,.? स्वतंत्रता क्या है,..? स्वतंत्रता का अर्थ क्या है,..? अपने मन मुताबिक चलने की आज़ादी,..? या मनमानी करने की आज़ादी,..? या अभिव्यक्ति की आज़ादी,..? आखिर क्या है स्वतंत्रता?? एक पतंग जो खुले आकाश में उड़ती है आज़ाद होती है? या एक पंछी जो अपनी काबिलियत और सामर्थ्य के दम पर उड़ता…

भारतं त्वम् भारतं
भारतं त्वम् भारतं विश्व का इतिहास देखो खुद को सबके साथ देखो सूर्य की पहली किरण से तुमने जग को रौशनी दी जानता है जग ये सारा मन में मानवता भरा है सभ्यता का सूर्य भारत ज्ञान की नव चेतना है प्रण-प्रतिज्ञा प्रेम-पावन कर लो तुम प्रण-प्राण से कल का भारत आज तुमको फिर…

तस्वीर भीड़तंत्र की
तस्वीर भीड़तंत्र की कुछ संसद में, कुछ सड़क पर चिल्ला रहे हैं छुप भीड़ में, हमें मारने की योजना बना रहे हैं ! चाल सियासी हो या फिर बात हो धार्मिक उन्माद की ताक पर रख मानवता, शिकार हमें बस बना रहे हैं ! योजना वद्ध तरीके से शिकार हमारे करते हैं कौन जिन्दा, कौन…