‘आज का होरी’ कौन लिखेगा ?

‘आज का होरी’ कौन लिखेगा ? किसान की फसल जब तबाह हो जाती है तब सियासत की फसल लहलहा उठती है। ‘भारत एक कृषि-प्रधान देश है’ जब यह पंक्ति हमारे नीति-निर्माता, योजनाकार जब मौके-मौके पर कहते हैं तो उनके मुँह से यह सुनकर न तो हँसी आती है और न ही गुस्सा, बल्कि यह सोचना…

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ये अंतर्नाद है

ये अंतर्नाद है मेरा जन्मस्थल पाटलिपुत्र (पटना) वैदिक काल से ही अपना एक ऐतिहासिक गौरव समेटे हुए है। मेरे दादा मेवालाल लक्ष्मण प्रसाद जौहरी स्वतंत्रता सेनानी थे और अपने समय में पटना के प्रसिद्ध जौहरी भी थे।मेरे पिता जी राजा राम मोहन राय स्कूल में टीचर थे,बाद में कृषि विभाग में हो जाने पर सरकारी…

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दो शब्द प्रेम के नाम

दो शब्द प्रेम के नाम नई दुनिया की नई रंगत, कब फरवरी का माह प्रेम को अर्पित हो गया और वह भी एक विशिष्ट खोल में लिपटा हुआ, पता नहीं, पर प्रेम तो शाश्वत है, इतना व्यापक कि एक पल भी जीवन का धड़कना प्रेम के बगैर संभव नहीं। सृष्टि अगर सृजन से जुड़ी है…

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साँझ

साँझ गाड़ी तेजी से पटना से राजगीर की ओर बढ़ रही थी। हल्की बूंदा-बांदी शुरू हो गई थी। आषाढ़ का महीना चढ़ा ही था। मोना सुबह आठ बजे पति राजेश के साथ घर से निकली थी। राजेश को ऑफिस के कार्य से वहाँ तीन दिनों के लिए रूकना था। मोना की एक सहेली रीना राजगीर…

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क्षितिज की लालिमा करे आह्वान”

“क्षितिज की लालिमा करे आह्वान” 15 अक्टूबर शरद पूर्णिमा कोजागरी लक्ष्मी पूजा के दिन बिहार के सहरसा जिले में जन्मी बच्ची को डॉक्टर ने हाथों में थामकर घोषणा की, “यह बच्ची बेहद विलक्षण, आगे चलकर पूरी दुनिया में नाम रोशन करेगी”। 2 वर्ष चार महीने की छोटी आयु में ही मां सीता के रूप झांकी…

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क्षमायाचना

क्षमायाचना हे नेता सुभाष बोस जी-तुम्हे शत शत नमन्न हमारा है। गुनाहगार ये है देश आपका-जिसने यूं मौन को धारा है।। तेरे क्रान्ति के जज़्बे को-और हम तेरे साहस को भूल गए। हम तो उन्हे भी भूले हैं-जो हंस हंसकर फांसी झूल गए।। आज़ादी के दिवानों का-नही हमने है कोई प्रतिकार किया। प्रतिकार तो क्या…

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अरुण धर्मावत की कविताएं 

अरुण धर्मावत की कविताएं    1.शंखनाद   धूमिल धूमिल पथ रह गए लक्ष्य अलक्षित रह गए अंधियारों में जले दीप जो उजियारों को लील गए   शोषित वंचित अपमानों के प्रश्न बिलखते रह गए जो चले योद्धा अग्रपथों पर आज वही पथ भूल गए   व्यथाओं का नित प्रदर्शन शब्द निरर्थक रह गए लिख कर…

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लड़कियों की

लड़कियों की इन हाशियों से ऐसी निस्बत है लड़कियों की सूखे गले से गाना, आदत है लड़कियों की   तुम भेड़ियों से बद्तर, पर लूट न सकोगे किसने कहा बदन से, इज़्ज़त है लड़कियों की   पज़ तालिबानी फ़तवे, ज़द रूहें इंक़लाबी ज़ुल्मात में चमकना, ताक़त है लड़कियों की   इक ख़ुशगवार आँगन, दो फूल…

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बेटी

बेटी नये इलाके में उन लोगों का अभी तक सभी से पूरा परिचय भी नहीं हुआ था। शाम को श्याम किशोर और उनकी पत्नी जब घूमने निकलते तब कुछ लोगों से बातचीत के माध्यम से परिचय हो रहा था। साथ में रहने वाली बीना को केवल अपने ड्युटी और घर से ही मतलब था इसके…

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TEN COMMANDMENTS

TEN COMMANDMENTS On the eve of WORLD HEALTH DAY(7th April) My TEN COMMANDMENTS of COVID from PUBLIC’s perspective!!(कुछ महत्वपूर्ण पहलू सबके लिए) Rampaging COVID( Second of so many impending WAVES) makes a few things crystal clear.. 1)MASK is the only realistic protection. 2) Vaccine is NO protection except, perhaps less mortality & severity, but We…

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