कोरोना वायरस ऐसे घुसता है शरीर में

कोरोना वायरस ऐसे घुसता है शरीर में

कोरोना वायरस कोविड-19 या फिर SARS-CoV-2 इस समय दुनिया के 3.32 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है. 14,587 लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे 6 कोरोना वायरस दुनिया में मौजूद हैं, जो इंसानी शरीर पर हमला कर चुके हैं. इनमें से चार सामान्य जुकाम के हैं. दो ने SARS और MERS आउटब्रेक किया था. आइए आज आसानी से समझते हैं कि कोरोना वायरस हमारे शरीर में कैसे घुसता है?

कोरोना वायरस तैलीय लिपिड के बुलबुले के अंदर होता है. इस बुलबुले के चारों तरफ प्रोटीन और लिपिड्स की परत होती है. इसी परत से प्रोटीन के कांटे (Spikes) निकले होते है.

कोरोना वायरस आपके नाक, मुंह या आंखों के जरिए आपके शरीर में घुसता है. इसके बाद ये शरीर की कोशिकाओं तक जाता है. इंसानी शरीर की कोशिकाएं ACE 2 नामक प्रोटीन पैदा करती हैं. कोरोना के कांटे ACE 2 प्रोटीन से जुड़ जाते हैं.

इसके बाद कोरोना वायरस का तैलीय लिपिड बुलबुला फूट जाता है. वह कोशिका की बाहरी परत को खोल देता है. फिर तैलीय लिपिड के अंदर मौजूद कोरोना वायरस का स्ट्रेन या RNA हमारी कोशिकाओं में घुस जाता है.

कोरोना वायरस का जीनोम हमारे शरीर की कोशिकाओं में एक निगेटिव वायरल प्रोटीन बनाना शुरु कर देता है. इसके लिए वह हमारी कोशिकाओं से ऊर्जा लेता है. ताकि वह शरीर के अंदर ही नए कोरोना वायरस पैदा कर सके.

धीरे-धीरे कोरोना वायरस जैसे कांटे हमारे शरीर की कोशिकाओं में विकसित होने लगती हैं. यानी हमारी कोशिकाएं भी कोरोना वायरस जैसी बनने लगती है. फिर, ये टूटकर नए कोरोना वायरसों को जन्म देना शुरू करती हैं.


इसके बाद इंसान के शरीर में ही शुरू हो जाती है कोरोना वायरस की एसेंबलिंग यानी वायरस के नए RNA शरीर में फैलने लगते हैं. ये नए वायरस को पैदा करते हैं.
कोरोना वायरस ऐसे घुसता है शरीर में,

फिर इंसानी शरीर के अंदर ही अलग-अलग कोशिकाओं से मिलकर नए कोरोना वायरस बनाने लगते हैं. इंसानी शरीर के अंदर संक्रमित हर कोशिका लाखों वायरस बना सकती हैं. अंत में इंसानी शरीर की कोशिकाएं मरने लगती हैं. फिर धीरे से ये वायरस फेफड़ों में पहुंचकर ऑक्सीजन साफ करने की प्रक्रिया को बाधित करती हैं.

ऐसी स्थिति में हमारे शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली (Immune System) वायरस से लड़ाई करता है. तब आपको बुखार आता है. जब स्थिति ज्यादा गंभीर होती है तब हमारा इम्यून सिस्टम हमारे फेफड़ों की कोशिकाओं पर ही हमला करता है. इससे फेफड़े बाधित होते हैं. क्योंकि इस प्रक्रिया में कफ बनने लगता है. ये कफ मारी गई संक्रमित कोशिकाएं होती हैं. इसी वजह से सांस नहीं ले पाता आदमी. जिससे उसकी मौत हो जाती है.

खांसने या छींकने से फेफड़ों में मारी गई संक्रमित कोशिकाएं पानी या थूक या कफ की बूंदों के रूप में बाहर आते हैं. जो कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक बाहरी वातावरण में जीवित रह सकते हैं. साथ ही अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. इसलिए लोग मास्क लगाने को कहते हैं.

भविष्य में हो सकता है कि कोरोना वायरस कोविड-19 के लिए कोई वैक्सीन बना लिया जाए. ताकि वह इंसानी शरीर पर अगर हमला करे तो वह कोई नुकसान न पहुंचा पाए. फिलहाल तो कोई वैक्सीन नहीं है. वैज्ञानिक खोज रहे हैं.

साबुन से हाथ धोना सबसे बेहतरीन तरीका है बचाव का. क्योंकि कोरोना वायरस की बाहरी परत प्रोटीन या तैलीय लिपिड से बनी होती है. जिसे साबुन का पानी तोड़ देता है. इसके बाद वायरस का स्ट्रेन कमजोर पड़ जाता है.

 

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