एनीमिया एक ज्वलंत स्वास्थ्य समस्या

एनीमिया एक ज्वलंत स्वास्थ्य समस्या

 

एनीमिया शरीर में एक बीमारी की स्थिति है, जिसमें शरीर में लाल रक्त कणों की कमी हो जाती है इसे रक्ताल्पता या खून की कमी भी कहा जाता है ।

स्त्री का रक्त आयरन 11.6 से 15 gm / dl

एक पुरूष का आयरन 13.2 से 16.6 gm/ dl रहना चाहिए। इससे कमी की स्थिति को एनीमिया कहते है।

न्यूनतम सीमा से आयरन की मात्रा जितनी कम होगी, एनीमिया उतना अधिक होगा। हम अपने डॉक्टर के पेशे में न्यूनतम यानी 2 से 3 ग्राम आयरन भी देखते हैं। भारत में स्त्रियों में प्राय: 7 से 10 ग्राम आयरन दिखा जाता हैं, जो औसतन से कम है।

रक्त कण शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाते हैं ,और इनकी कमी से शरीर की कोशिकाओं को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता हैं ,जिससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ शुरू हो जाती हैं, और एनीमिया ग्रसित की शारीरिक क्षमता कम होने लगती हैं।हमारे देश भारत में 60 से 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं और बच्चियाँ, 25 प्रतिशत से अधिक पुरूष ( 15 से 49 वर्ष) और 67 प्रतिशत से अधिक बच्चें एनीमिया से ग्रसित हैं।

स्त्रियों एवं लड़कियों में इसका मुख्य कारण मासिक स्राव एवं उससे संबंधित कुछ बीमारियां और गर्भवास्था में माँ और गर्भ के शिशु को आयरन की अधिक आवश्यकता और प्रसव के समय रक्त की बहुत हानि आदि ।गर्भ के समय एनीमिया से शिशु के विकास में कमी होती है और शिशु जन्म के समय कमजोर होता है।ज्यादा रक्त की कमी से माता की मृत्यु भी हो जाती है।जिंदगी बचाने के लिए खून/ रक्त चढा़ना पड़ता है।

 

 एनीमिया के कारण :–

1.आयरन कणों में कमी का सबसे बड़ा कारण शरीर में रक्त कणों की कमी ,शरीर में आयरन यानी लौह मात्रा में कमी।रक्त स्राव यानी रक्त की हानि,रक्त कणों का ह्रास,रक्त कणों के बनने में कमी,हड्डियों में आयरन रिजर्व यानी लौह मात्रा की कमी , रक्त कणों के अलग बनावट जैसे सिकेल सेल एनीमिया ,रक्त संबंधित बीमारियाँ आदि हैं।

2.शरीर में विटामिन B12 की कमी।

3. फोलेट विटामिन की कमी।

(क)इसका सबसे बड़ा कारण खानपान में आयरन की कमी,अपौष्टिक भोजन, फास्ट फूड का चलन,उचित खानपान का महत्व ना समझना।

(ख) बड़ी बीमारियाँ –मलेरिया, टी बी, एच आई वी, पेट में कीड़े, थायराइड समस्या, कैंसर ,खून की बीमारी, जेनेटिक्स बीमारी इत्यादि ।

एनीमिया के लक्षण :-

एनीमिया के लक्षण उसके स्तर पर निर्भर करता है।

*कमजोरी लगना।

*थकावट महसूस करना।

*दिल के धड़कन का बढ़ना।

*शरीर में सूनापन लगना ।

*चक्कर आना ।

*सुस्ती लगना ।

अधिक आयरन कम होने पर :–

*आंखों के सफेदी में नीलापन आना।

*नाखून कमजोर होने लगता हैं।

* लोगों में बर्फ या अलग तरह की चीजें खाने की प्रकृति होती है जिसे pica syndrome कहते हैं।

*सर में हल्कापन महसूस होना।

*चमड़ी का रंग हल्का पीलापन होना।

*थोड़े से चलने या काम करने में थकान महसूस करना।

*जीभ में सूजन होना।

*मुंह में घाव छाले होना इत्यादि ।

समय पर इलाज ना होने पर अनेक बीमारियाँ का होना या मृत्यु होना।

 

एनीमिया से बचने या दूर करने के उपाय :–

पौष्टिक व संतुलित भोजन

सर्वप्रथम शरीर में आयरन यानी लौह की मात्रा बढ़ाने का उपाय करना।साथ ही विटामिन बी 12 और फोलेट की मात्रा भी बढ़ाना चाहिए ,विटामिन सी से भरे फल सब्जियां यानी पौष्टिकता से भरा भोजन सेवन करना चाहिए।

उचित खानपान में सुधार से बहुत हद तक एनीमिया को दूर किया जा सकता है और इससे ग्रसित होने से बचा जा सकता है।फास्ट फूड का सेवन नही करना चाहिए ।

लौह /आयरन से भरे भोजन का सेवन —

आयरन के लिए शाकाहारी हरे पत्तेदार सब्जी, साग जैसे चौलाई, मेथी, सरसों, बथुआ, कलमी सूखे सेम, सूखे फल और बीज।

अनाज :-गेहूं के ज्वारे ,बाजरा,रागी का सेवन (बाजरा, रागी, मडूआ में बहुत आयरन रहता है।टोफू, सोया,सोयाबीन,दाल की मात्रा बढ़ाना चाहिए।काली दाल, मसूर दाल आदिगुड़ चना, केला फल ,अनार, सुगर बीट आदि ।

माँसाहारी भोजन में, माँस, चिकन, मछली, अंडा आदि का सेवन।

2.फोलेट के लिए:- गहरे पत्तेदार सब्जी,गेहूँ के ज्वार,संतरे का जूस ,नारंगी, आँवला, फालसा, कीनू ,अनार आदि।

3.विटामिन सी भी अनीमिया में आयरन को शरीर में बढ़ाने में मदद करता है,इसके लिए, खट्टे फल, ताजा कच्चे सब्जी,अंकुरित बीजों के सलाद ,सलाद का सेवन,जैसे संतरे का जूस,नारंगी,कीनू,आँवला ,फालसा ,इमली आदि

4.विटामिन बी 12 के लिए  दूध, दही, डेयरी आदि, अंडा, मछली, माँस इत्यादि ।

इलाज :–

आयरन एवं जरूरी विटामिन एनीमिया के किसी भी लक्षण के आने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लेना चाहिए।जो आपकी जाँच के बाद शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए आयरन के साथ पौष्टिक विटामिन ,प्रोटीन कुछ माह लगातार खाने की सलाह देते हैं। शरीर में आयरन रिजर्व बढ़ाना आवश्यक होता है। तभी एनीमिया दूर होगा। इसलिए गर्भवती स्त्रियों को गर्भ के समय, प्रसव के बाद भी आयरन आदि दिया जाता है। इसी तरह लड़कियों और युवतियों को भी अपने खानपान पर ध्यान रखना चाहिए। लड़कों पुरूषों ,बुजूर्गों में भी खानपान की कमी या बीमारियों से एनीमिया होता है। और इस तरह सही भोजन, समय पर जाँच और ईलाज से एनीमिया से उत्पन्न अनेक शारीरिक कष्टों, परेशानियों से बचा जा सकता है और स्वयं को ,अपनी संतानों को, बुजूर्गों को ,परिवार को स्वस्थ रखा जा सकता है। स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन ही जीवन मंत्र है।

डॉ आशा गुप्ता 

प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं साहित्यकार

झारखंड, भारत

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