प्रथम गुरु – मां

गुरु पूर्णिमा विशेष
प्रथम गुरु – मां

मां तुम मेरी प्रथम गुरु हो
तुमने ही मुझे पढ़ाया है
तुमने ही सुख दुख में मुझको
जीवन का सार बताया है,

करूं वर्णन कैसे तेरी महिमा का
मेरी नींव है तुम पर टिकी हुई
जीवन में हर एक रिश्ते की
पहचान तुम्हीं से मिली हुई
तुमने ही तो हमको सबका
करना सम्मान सिखाया है
मां तुम मेरी प्रथम गुरु हो
तुमने ही मुझे पढ़ाया है,

जब अंधकार ने घेरा मुझको
तुम रवि किरण बनकर आई हो
हर लिए सभी दुख पल भर में
खुशियों की फसल उगाई हो
तुमने ही तो पग पग पर
सिर मेरा सहलाया है
मां तुम मेरी प्रथम गुरु हो
तुमने ही मुझे पढ़ाया है,

जब भी कदम पड़े कटु पथ पर
तुम ही तो बनी मार्गदर्शक
ले आई वापस सतपथ पर
पल पल पर साथ दिया भरकस
मुझे अहंकार से दूर किया
सच्चाई का मार्ग दिखाया है
मां तुम मेरी प्रथम गुरु हो
तुमने ही मुझे पढ़ाया है।।

अनामिका लेखिका
उत्तर प्रदेश

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