हिंदी मेरा अभिमान

हिंदी मेरा अभिमान

ओह माँ यह आपका फ़ोन भी ना?नाक भों सिकोडता बेटा खीझता हुआ बोला।यहाँ कुछ भी टाइप करो तो हिंदी में। माँ सुनो इसे इंग्लिश टाइपिंग में करो।बड़ी दिक्कत होती हैं।मैंने प्रश्नात्मक दृष्टि से पर मुस्कुराकर फ़ोन उसके हाथ से ले लिया।क्यों तुम्हारा स्मार्ट फ़ोन कहाँ हैं।जो करना हैं उससे करो।सुविधा तो तुम्हारें फ़ोन में भी हैं ना?

ताज्जुब हो रहा था की नई पीढ़ी जब से डिजिटल हुई हैं तब से ज्यादा ही बिखरने लगी हैं।मोबाइल में शॉर्ट फॉर्म्स में लिखना उन्हें ज्यादा भाता हैं।हिंदी में यह सुविधा नही ।हिंदी में अगर हम यह लिखे तो बात का बतंगड़ बन जाए। हाय री यह आधुनिकता। सच में अफ़सोस होता हैं कि आज की युवा पीढ़ी हिंदी में बिलकुल भी लिखना नही चाहती।कसूर उनका भी नही आज कल ऑनलाइन ज़माने में हिंदी भाषा का प्रयोग कम ही होता हैं।
हिंदी मेरा अभिमान।यह तो मै कह सकती हूँ गर्व से क्योंकि मेरे हस्ताक्षर भी हिंदी में ही हैं और प्रोफाइल भी।
मातृभाषा मराठी होने के बावज़ूद मै हिंदी बेहतर लिख लेती हूँ और कोशिश भी करती हूँ।

और अपने दोनों बच्चों से भी हिंदी लिखने को कहती हूँ।
पर लापरवाही से दोनों कहते हैं माँ बस दसवीं तक पढ़ ली बड़ी मुश्किल से पीछा छूटा हैं अब मत कहना।अफ़सोस और विचलित हो जाती हूँ कि काश यह समझ पाए मातृृभाषा का सम्मान।

कहते भी हैं आप हो न जब हमे हिंदी में कुछ लिखना होगा आप से कह देंगे आप लिख कर दे दीजियेगा।
मन ही मन सोचती हूँ और जब मै नही रहूँगी तब?
आधे हिंदी आधे अंग्रेजी सिखने वाले बच्चों की भाषा क्या होगी यही सोच मन घबरा जाता हैं। मेरी डायरी का पहला पन्ना देख बच्चे कहते हैं माँ हम तो हिंदी नही ढंग से सिख सके और ना ही सिख पाएँगे पर हाँ आपका हिंदी की तरफ़ लगाव देख हम गर्व से यह कह सकते हैं कि हिंदी हमारा भी अभिमान हैं। सच कहूँ तब दिल गर्व से भर जाता हैं कि चलो कुछ संवेदना अभी भी बाकी हैं मातृभाषा की तरफ़ बच्चों में।फिर वह मातृभाषा हो या मुझे मौम की जगह माँ कहना।

वैसे भी इसके अलावा कुछ औऱ भी।सभी मित्रों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,१४ सितंबर १९४९ को आज ही के दिन हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में अंगीकार किया गया था। हर वर्ष १४सितंबर को देश में हिन्दी दिवस मनाया जाता है. यह मात्र एक दिन नहीं बल्कि यह है अपनी मातृभाषा को सम्मान दिलाने का दिन. उस भाषा को सम्मान दिलाने का जिसे लगभग तीन चौथाई हिन्दुस्तान समझता है, जिस भाषा ने देश को स्वतंत्रता दिलाने में अहम भूमिका निभाई. उस हिन्दी भाषा के नाम यह दिन समर्पित है जिस हिन्दी ने हमें एक-दूसरे से जुड़ने का साधन प्रदान किया।कृपया अपनी राष्ट्रभाषा का सदैव सम्मान करें!! नम्र निवेदन हर भाषा का मान करे सम्मान करे..!

भाषा कोई भी हो मान सम्मान जरूरी भावभिव्यक्ति हर भाषा की पहचान.

“..स्वरा”
सुरेखा अग्रवाल

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