लघुकथा- माँ के साथ फोटो

लघुकथा- माँ के साथ फोटो

बड़ा ही अजीब आदमी है हमारा बॉस। अभी पिछले साल ही ट्रांसफर होकर आया था। उसका हर काम ही अलग निराला होता है, जाने कहाँ से उसे क्या विचार आ जाते हैं, बड़ी IIM से MBA करके आया हुआ है, उसकी नियुक्ति,ऑफिस में कर्मचारियों में बढ़ते हुए डिप्रेशन को कम करने की जिम्मेदारी के साथ हुई थी। मैं उसे अजीब इस लिए कह रहा हूँ कि उसे बस मौका मिलना चाहिए या मूड होना चाहिए, वो नए नए इवेंट , या प्रतियोगिता या खेल करवा लेता था।

उस दिन उसने एक नया टास्क दे दिया, टास्क था कि मदर्स डे था उस दिन, उसने कहा सभी कर्मचारी अपनी अपनी माँ के साथ फोटो लाएं, जिसकी फोटो सबसे अच्छी होगी उन्हें 5 हजार 3 हजार और 1 हजार के ये तीन पुरस्कार मिलने थे। बॉस के हर टास्क में हर एक कर्मचारी को भाग लेना अनिवार्य होता था। तिवारी ने कहा कि उसकी माँ तो इस दुनिया में है ही नहीं, उन्हें तो स्वर्ग सिधारे हुए 2 साल हो गए हैं। बॉस के पास इसका भी उपाय था उसने कहा कि केवल उन कर्मचारियों की पुरानी फोटो चलेंगी जिनकी माँ आज जिंदा नहीं है पर शर्त ये है कि वो फोटो कोई बचपन की फ़ोटो न हो, माँ के अंतिम समय के आस पास की हो। तिवारी की समस्या तो हल हो गई पर मेरी समस्या बड़ी थी, पिछले कई सालों से मैंने माँ के साथ कोई फोटो नहीं खिंचवाई थी, पापा को गए 15 साल हो गए हैं और मेरी उस वक्त कहीं और पोस्टिंग थी , माँ मेरे साथ न आकर वहीं गाँव में भाई के साथ रह गई थी। माँ को मिलने वाली पापा की पूरी पेंशन भाई ने हथिया ली थी और, माँ भी पूरी तरह उनकी होकर रह गई है, अब इस झगड़े में मेरी और मेरे बीवी बच्चों की बोलचाल बन्द थी। हालांकि हमारे घरों के बीच एक ही दीवार थी। पर मनों के बीच की दीवार बहुत ऊँची उठ चुकी थी।

मैंने घर आकर माँ के साथ वाली मेरी फोटो खोजने का प्रयास किया , मोबाइल तो पहले ही छान चुका था उसमें तो नहीं थी, होती तो तब न जब मैने खेंचि होती।मैने घर का सब सामान उलट पलट दिया पर माँ के साथ कि एक भी फोटो न मिली , बचपन वाली भी नहीं, वो हम कब की उधर भाई के यहां दे आये थे। घर का यूँ सामना उलटते पलटते देख बीवी ने पूछ ही लिया। मैंने बताया बॉस का टास्क है, और अगर जीते तो कुछ न कुछ मिलेगा ही। बड़े सोच विचार के बाद ये तय हुआ कि माँ के साथ एक लेटेस्ट फ़ोटो ली जाए, पर समस्या ये भी की इसके लिए माँ से कहें कैसे, इसकी जिम्मेदारी बड़ी बेटी ने ली बोली ,मैं दादी से कई बार फोन पर बात करती हूँ, मैं माँ से कहती हूँ, हालांकि मैंने और बीवी ने उसकी और आँखे तरेरी पर इस वक़्त ये जरूरी था के फोटो खींचा जाए। माँ तो कहते राजी हो गई और दौड़ी चली आई। माँ के साथ बहुत सी फ़ोटो क्लिक की। ऐसा करते देख माँ को मुझपर प्यार आ गया और उसने मेरा सर अपनी गोद में रखकर सहलाने लगी ऐसा करने पर उसके आँसूं बह निकले जाने क्या हुआ, और उसके ऐसा करने से मेरी भी आंखों से आँसू बह निकले बेटी लगातार क्लिक किये जा रही थी , फिर तो सब ने माँ के साथ बहुत सी फ़ोटो ली।

बॉस को सभी लोगों की फोटो में से मेरी माँ के गोद में सर रखी हुई और दोनों की रोती हुई फ़ोटो सबसे बेस्ट लगी, मुझे प्रथम पुरस्कार मिला, उसी रात माँ चल बसी। आज माँ को गुजरे चार महीने हो गए हैं कोई दिन ऐसा नहीं है जब माँ की फोटो को बीस बीस बार न देखा हो, सोचता हूँ, अगर उस दिन बॉस वो इवेंट न रखता तो शायद मैं कभी भी माँ को मेरे और मेरे परिवार के साथ किसी फोटो में नहीं देख पाता । अभी भी माँ की फोटो देख रहा हूँ और उस पल को याद कर रहा हूँ जब माँ ने मुझे गोद में लिटा लिया था। आँखें भर आईं हैं।

संजय नायक”शिल्प”
हैप्पी मदर्स डे

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