लॉकडाउन में पेरेंट्स और बच्चे

लॉकडाउन में पेरेंट्स और बच्चे

कोरोना वाइरस के बचाव के लिये होने वाले लॉकडाउन का बच्चों पर सीधा – सीधा असर है और पैरेंट्स भी परेशान हैं कि इस समय का सदुपयोग कैसे किया जाय। आईये इस विषय पर कुछ चर्चा करें ।

इस लॉकडाउन से हर उम्र के बच्चों के लाइफस्टाइल में अचानक ही बदलाव आ गया है। उनके जीवन में अचानक ही एक ठहराव सा आ गया है, जिसकी भरपाई वे ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से करने की कोशिश कर रहे हैं, कभी मोबाइल तो कभी लैपटॉप तो कभी वीडियो गेम। मैं सभी पेरेंट्स से यही कहना चाहूँगी कि वे चाहें तो अपनी सूझ बूझ से इस समय का उपयोग बच्चों के साथ एक अच्छे संवाद को स्थापित करने में कर सकते हैं जिससे बच्चे न केवल भावनात्मक रूप से मजबूत होंगे बल्कि वे अपने माता पिता से निकटता भी महसूस करेंगे। एक आम व्यस्त जीवन मे चाह कर भी यह सम्भव नहीं हो पाता।

कुछ बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है –

  1. आप स्वयं के लिये और बच्चों के लिये भी टाइम टेबल निर्धारित रखिये अन्यथा जब वे फिर से स्कूल जाना शुरू करेंगे तो एक निश्चित टाइम टेबल में ढलना उन्हें मुश्किल लगेगा।
  2. इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे अपनी पढ़ाई और सभी विषयों से जुड़े रहें। इसके लिए आप उनकी पढ़ाई का भी समय और स्थान निर्धारित रखिये।
  3. घर मे अनुशासन बनाए रखिये। समय पर ही खाना, सोना , पढ़ना, खेलना सब होना चाहिये।
  4. बच्चों को उनकी पसंद की चीजें करने दीजिये। पेंटिंग, सिंगिंग, डांसिंग जैसे शौकों को पूरा करने दीजिए।
  5. हर दिन बच्चों को कुछ ना कुछ जिम्मेवारी दीजिये। सफाई , रसोई के छोटे मोटे काम , खाना परोसना, आलमारी ठीक करना जैसे छोटे मोटे काम बिना रोके टोके उन्हें करने दीजिए।
  6. उन्हें नए आइडियाज देने के लिये या अपने विचार रखने के लिए प्रोत्साहित कीजिये तभी तो वे स्वतंत्र रूप से सोचना सीखेंगे।
  7. बच्चों के साथ बच्चे बन जाइये, उनके साथ खेलिये, खूब बातें कीजिये, उनकी बातें सुनिये। लूडो, कैरम, चेस, छुपा- छुपी या अन्ताक्षरी जैसे खेल खेलिये जिसमें उन्हें मजा आए।
  8. बच्चों को योग तथा ध्यान लगाने की बातें बताएं। सहज- सरल रोचक तरीके से उनमें इनकी आदत डालें।
  9. एक जो सबसे महत्वपूर्ण सलाह मैं देना चाहती हूँ वो यह है कि आप बच्चों को कहानियाँ सुनाइये। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसके कई फायदे हैं जो बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है। जब हम बच्चों को रोचक कहानियाँ सुना रहे होते हैं तो उनमें काफी कुछ विकसित भी कर रहे होते हैं , जैसे,
    * भाषा का विकास
    * श्रवण क्षमता का विकास
    * एकाग्रता का विकास
    * बोल – चाल के तरीके को समझना
    * कल्पना शक्ति का विकास
    * स्नेह, करुणा,सहयोग जैसे भावों से परिचय एवं विकास
    * नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों का विकास
    * सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बच्चे कहानी सुनाने वाले के साथ एक निकटता और भावनात्मक जुड़ाव महसूस करने लगते हैं जो उनके मानवीय मूल्यों के विकास को गतिशील कर देता है।

आप सभी इस लॉक डाउन में बच्चों का साथ एन्जॉय करें। हर समय कोरोना की न तो बातें करें और ना ही नकारात्मकता को अपने पर और बच्चों पर हावी होने दें। इस समय का पूरी सकारात्मकता के साथ सदुपयोग करें।

डॉ निधि श्रीवास्तव
मनोवैज्ञानिक एवं प्रधानाध्यापिका
विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल
जमशेदपुर, झारखंड

0