राम बनना है हमें

राम बनना है हमें

है अयोध्या राममय, सिया-राम,लक्ष्मण आ रहे।
संग में हनुमत पधारे भक्त जन गुण गा रहे ।

राम के दरबार से अक्षत सुहाने आ गए ।
भव्यता का भाव भरकर सब दीवाने आ गए।

राम को मन में बसाकर धर्म का पालन करें,
क्या है मर्यादा ये सीखें , जो यहाँ शासन करें ।

नेह का दीपक जलाकर कामना मन में करें,
पाँच सदियों बाद राघव का सभी स्वागत करें ।

मात कौशल्या सा बनकर बच्चों को संस्कार दें।
प्रेम और विश्वास से जीवन को हम आधार दें।

हो भारत सा मन तपस्वी , मोह सत्ता का न हो।
प्रेम करुणा त्याग हो , तृष्णा कहीं मन में ना हो।

मंथरा की मंत्रणा से दूर हर एक नार हो ,
उर्मिला सा धैर्य हो , संयुक्त हर परिवार हो ।

भूमिजा सी हो मनस्विनी इस धरा में बालिका,
प्रेम हो परिवार से पर स्वाभिमान की पालिका।

राम कहने से नहीं कुछ, राम बनना है हमें,
मन के रावण को हराकर राम सा जीना हमें ।

मंजु श्रीवास्तव ‘मन’
वर्जीनिया अमेरिका

0
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments