काश !

काश!

विमान मिलान ऐयरपोर्ट से टेक ऑफ कर इटली की सीमा को छोड़कर भारत की ओर बढ़ चुका था | विशाल और श्यामली दोनों बहुत खुश थे | भारत पहुँचकर सबसे मिलने की कल्पना मात्र से उनका मन उमंग से भर उठा था | पिछले पाँच सालों से वे अपने घरवालों से नहीं मिले थे | विमान आसमान की ऊंचाइयों को छूता हुआ बादलों में अठखेलियाँ करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था |

विशाल और श्यामली हाथ में हाथ लिए बातों में ऐसे मशगूल थे, मानो जिंदगी के सारे सपने सँजो रहे हों | दोनों ने अपनी जिंदगी एक दूसरे के नाम लिख दी थी | इटली के मिलान शहर में एक साथ एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते-करते दोनों कब एक दूसरे के हमसफर बन गए, पता ही नहीं चला |

विशाल ने श्यामली का हाथ अपने हाथ में लेकर बड़े प्यार से कहा, “श्यामली, मैं तुमसे शादी करके जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ | अब हमें अपने मम्मी-पापा से शादी की बात कर लेनी चाहिए |”

श्यामली मुस्कराते हुए कहने लगी, “हाँ विशाल, मैं भी यही चाहती हूँ | बस, चलकर दूसरे ही दिन तुम्हें अपने पेरेंट्स से मिलवाती हूँ |”

दोनों ने बिना बोले आँखों ही आँखों में सब कुछ कह दिया था | दोनों की आँखें न जाने कितनी उमंगों, आशाओं, चाहतों का बयान कर रही थीं | सगाई, शादी, हनीमून के सपने आँखों में तैरने लगे थे | श्यामली विशाल के कंधे पर अपना सिर रखे आराम से बैठी थी | विशाल उसकी हथेलियों को प्यार से सहला रहा था | प्यार के अनोखे अहसास में दोनों निमग्न थे |

अचानक एयर होस्टेस की आवाज से वे चोंक गए |
“व्हाट विल यू लाइक तो हेव प्लीज?”

श्यामली ने कॉफी और विशाल ने वाइन ली और फिर अपने घरवालों, मित्रों, रिश्तेदारों के साथ मिलने और पार्टी करने का प्रोग्राम बनाने लगे | वे जिंदगी का पूरा आनंद उठाना चाहते थे |

कुछ देर वे दोनों बात करते रहे फिर खाना खाकर सो गए | जब आँख खुली तो ऐयर होस्टेस भारत पहुँचने का एनाउंसमेंट कर रही थी | अपने देश की धरती पर पाँव रखते ही उन्हें एक अलग ही आनंद की अनुभूति हो रही थी | परंतु यह सुखद अनुभव थोड़ी ही देर में चिंता में बदल गया |

चीन तथा अन्य देशों में कोरोना वाइरस फैलने के कारण इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उन्हें स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ा | उन्हें कोरोना संदिग्ध पाया गया और 14 दिन के लिए सेल्फ कोरोंटीन करने का आदेश दे दिया गया | कोरोना संदिग्ध होने की बात सुनते ही दोनों के चहरे फीके पड़ गए | कोरोना के भय से उनका गला सूखने लगा | कोरोना के आतंक ने उन्हें जकड़ लिया था |
श्यामली सकपकाते हुए बोली, “अभी इटली में तो ज्यादा केस नहीं हुए, फिर भी…… ?”

ऑफिसर ने कहा, “यस, यू हेव टू | चौदह दिन के लिए सेल्फ कोरोंटीन आपके तथा आपके परिवार के लिए हैल्पफुल होगा |”

श्यामली और विशाल पर मानो विपदा का आसमान ही टूट पड़ा | वे बुरी तरह हैरान-परेशान हो गए | उनके सपनों पर, उनके प्रोग्राम पर पानी फिर गया | उनकी मस्ती के सारे पलों को मानों किसी ने बरबस छीन लिया | जिंदगी और मौत की जंग उन्हें सामने दिखाई देने लगी थी | विशाल तो तिलमिला सा गया था |

श्यामली ने वातावरण को थोड़ा हलका बनाते हुए कहा, “विशाल, गनीमत है, अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में तो नहीं जाना पड़ेगा | घर में कोरोंटीन कर लेंगे | चलो जैसे तैसे समय निकल ही जाएगा |”

उन्होंने अपने घर और डॉक्टर से बात की और यह निर्णय लिया कि वे अपने-अपने घरों में एक अलग कमरे में रहकर सेल्फ कोरोंटीन करेंगे | कोरोना की महामारी से बचाव के लिए यह आवश्यक था |

डिप्टी सी. एम. ओ. ने उन्हें कोरोना की गाइड लाइन देते हुए कहा, “आप लोग अपने-अपने घरों में अलग कमरे में रहें, अलग बाथरूम यूज करें | बार बार साबुन से हाथ धोएं | कमरे से बाहर न निकलें | घर के सदस्यों से दूरी बनाए रखें | सेनेटाइजेशन का पूरा ध्यान रखें |”

जब विशाल को कोरोंटीन के लिए उसके कमरे में भेजा गया तब उसकी माँ वीना तो एकदम टूट गई | कोरोना महामारी ने यदि उनके बेटे पर भी हमला कर दिया तो …. | वे स्वास्थ्य विभाग की टीम के जाते ही अपने बेटे से लिपटकर रोने लगी |

विशाल ने उन्हें समझाते हुए कहा, “मम्मी तुम मुझ से दूर रहो | यदि तुम्हें यह बीमारी हो गई तो बहुत मुश्किल होगी |”

वीना रोते हुए बोली, “पुत्तर, मुझे अपनी चिंता नहीं है, बस तू ठीक हो जा |”

वीना विशाल के लाख मना करने पर भी सारे दिन विशाल के पास बैठी उसकी तीमारदारी करती रहती, उसके साथ ही खाना खा लेती | दो तीन दिन तक विशाल बहुत चिंतित रहा पर उसे अपने आप में रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए, तो वह निश्चिंत हो गया और घर में सबके साथ उठने बैठने लगा | सबके साथ डाइनिंग टेबल पर खाना खाने लगा और मौज मस्ती करने लगा |

श्यामली ने फोन पर उसके हालचाल पूछे, “कैसे हो विशाल ? कोरोंटीन कैसा चल रहा है ? अपना और फैमिली का खूब ध्यान रख रहे हो या नहीं ?”

विशाल ने कहा, “यार मैं बिल्कुल ठीक हूँ | उस ऑफिसर ने जबरदस्ती मुझे कोरोना का पेशेंट बना दिया | मैं तो आज अपने फ़्रेंड्स के साथ पार्टी में भी जा रहा हूँ | अगर तुम ठीक फ़ील कर रही हो तो तुम भी चलो न |”

श्यामली ने कहा, “नहीं, बुखार तो मुझे भी नहीं है, पर मैं चौदह दिन सबसे अलग ही रहना चाहती हूँ | मैं नहीं चाहती कि किसी को मेरी वजह से यह बीमारी हो | हमें अपने घर, परिवार और देश का ध्यान रखना होगा |”

विशाल ने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा, “यार, बड़ी कमजोर दिल की हो ? कब डरना छोड़ोगी ? चिल यार, जब कोई बीमारी के सिंपटम्स नहीं हैं, तो क्यों डरें |”

श्यामली ने उसे समझते हुए कहा, “थोड़े दिन की ही बात है | हैव पेशेंस |”

विशाल बोरियत के कारण उखड़ सा गया | श्यामली ने बात बदलते हुए पूछा, “अच्छा, बताओ तुमने मम्मी, पापा से शादी के विषय में कोई बात की?”

विशाल बोला, “मम्मी तो बेताब हैं, अपनी बहू रानी से मिलने के लिए | बस तुम्हारा यह चौदह दिन का एकांतवास समाप्त हो | अच्छा बताओ | तुम्हारे घर में क्या चल रहा है ?

“मेरे मम्मी- पापा तुमसे जल्दी ही मिलेंगे |” श्यामली ने कहा |

“यार, अब एक-एक पल काटना मुश्किल होता जा रहा है | नहीं रह सकता मैं तुम्हारे बिना और कितना इंतजार करना होगा?”

श्यामली ने कहा, “बस अब इंतजार समाप्त होने वाला है |”

“तुम क्या करती रहती हो? बोर नहीं हो रही क्या ?” विशाल ने पूछा |

श्यामली ने खुशी से उत्तर दिया, “नहीं विशाल, मैं अपने इस फ्री टाइम में अपने पुराने शौक पूरे कर रही हूँ | तुम्हें एक बात बताऊँ, मैंने अपनी मम्मी और तुम्हारी मम्मी के लिए दुपट्टे पेंट किए हैं | बहुत प्यारे बने हैं | जब वे देखेंगी खुश हो जाएंगी |
सुनो, कल तो बहुत मज़ा आया | ज़ूम एप पर अपनी पुरानी फ़्रेंड्स के साथ खूब मस्ती की | आज के जमाने में तो पूरी दुनिया अपने मोबाइल में है | फिर चिंता क्या है | चौदह दिन तो पलक झपकते ही कट जाएंगे |”

“घर में मम्मी-पापा तुमसे दूरी मेंटेन कर पाते हैं क्या?” विशाल ने पूछा |

श्यामली के सामने अपनी मम्मी की उदास, हताश, आँखों में आँसू भरी छवि उभर आई | वह बोली, “मम्मी –पापा के लिए यह बहुत मुश्किल काम है | इतने दिन से वे मेरा इंतजार कर रहे थे, पर मुझसे मिलने के बाद वे मुझे प्यार भी नहीं कर सकते, छू भी नहीं सकते और उस पर कोरोना जैसी भयंकर महामारी का डर | मम्मी तो जब मेरे कमरे की ओर आती हैं, तो एक अजीब बेबसी मुझे उनकी आँखों में दिखाई देती है | कैसी लाचारी है | पर सब यही सोच लेते हैं कि बीमार होने से तो चौदह दिन अलग रहना ही बेहतर है | हम सब डिस्टेंसिनग और मास्क वगैरा का बहुत ध्यान रखते हैं | ……चलो, ठीक है बाद में बात करते हैं | अभी मम्मी गारगिल करने के लिए गरम पानी लाई हैं |”
“ओके बाय” कहते हुए दोनों ने कॉल बंद कर दी |

छटे दिन स्वास्थ विभाग की टीम उनसे मिलने आई | दोनों का चैकअप हुआ | विशाल को खाँसी बढ़ गई थी | उसे खाने में कोई टेस्ट नहीं आ रहा था | विशाल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई | बस फिर क्या था, घर में रोना धोना मचने लगा |

डॉक्टर ने समझाते हुए कहा, “आप लोग परेशान न हों | अभी आपको हिम्मत से काम लेना है | कोरोना से यंग पेशेंटस को उतना खतरा नहीं है | हाँ, एक बात और अब हमें आप सबको भी कोरोंटीन में रखना होगा |”

वीना तो एकदम सकपका गई | डॉक्टर ने विशाल से पूछा, “आप कहीं घर से बाहर तो नहीं गए थे ?”

विशाल ने डरते-डरते कहा, “कल एक पार्टी में गया था |”

पार्टी का नाम सुनते ही डॉक्टर को बहुत गुस्सा आया | कहने लगे, “यदि आप पढ़े लिखे लोग भी ऐसी भयंकर गलतियाँ करेंगे तो हम कोरोना से देश को और आप सबको कैसे बचा पाएंगे | अब उन सबका भी परीक्षण करना होगा |
विशाल अपनी गलती पर शर्मिंदा था | उसने ऑफिसर से बहुत माफ़ी मांगी |

विशाल और उसके माता-पिता को एम्बुलेंस से हॉस्पीटल ले जाया गया | एक अघटित भय की चिंता सुरसा के मुँह की तरह उनके सामने बढ़ती जा रही थी | तीनों का टैस्ट कोरोना पॉजिटिव निकला और फिर उपचार शुरू हुआ |

विशाल के हालात तो कुछ दिनों में सुधरने लगे, पर उसकी माँ वीना की दशा बिगड़ती जा रही थी | वे शुगर की पेशेंट तो पहले ही थीं | पिता जी के भी हाल बहुत अच्छे नहीं थे | चार पाँच दिन में ही वीना की हालत बहुत खराब हो गई | उन्हें साँस लेने और बोलने में बहुत तकलीफ होने लगी थी | वे सबसे मिलना चाहती थी | उनकी आँखों से आँसू बहते रहते, पर उनके पास आने के लिए किसी को अनुमति नहीं थी |

उसने अपने बेटे विशाल से फोन पर कहा, “विशाल बेटा, मैं अपनी होने वाली बहू श्यामली से मिलना चाहती हूँ | मुझे दूर से ही उससे मिलवा दे |”

विशाल ने कहा, “कोशिश करता हूँ | मम्मी, पर अभी वह भी घर से नहीं निकल सकती | मैं आपकी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करवाता हूँ | आप वीडियो पर उससे बात करिए |”

वीना ने श्यामली को देखा, तो उसे अपने बेटे की पसंद पर गुमान होने लगा | उसने श्यामली को खूब आशीर्वाद दिए | वीना की आँखों से गंगा-जमुना बह निकली थीं |

श्यामली ने कहा, “मम्मी, मेरे कल चौदह दिन पूरे हो जाएंगे | मैं स्वस्थ हूँ | अब मैं थोड़ा घूम सकती हूँ |”

बीना बहुत खुश थी, पर उसकी साँस फूलने लगी थी | नर्स ने कहा, “अब आपको किसी से बात नहीं करनी | चुपचाप सो जाइए |”

वीना की तकलीफ बढ़ती जा रही थी | वह अशक्त सी होती जा रही थी | डॉक्टर ने उसे दवा दी | वेंटीलेटर लगवाया, पर रात भर में वीना की तबीयत बिगड़ती गई |

श्यामली सुबह से ही विशाल के मम्मी-पापा से मिलने के लिए आतुर थी | वह उन्हें तसल्ली देना चाहती थी | श्यामली ने जाते समय वह दुपट्टा भी ले लिया, जो उसने वीना के लिए तैयार किया था | वह अपने हाथों से उन्हें दुपट्टा देना चाहती थी, पर यह संभव नहीं था | कोरोना ने सबको दूर रहने को मजबूर जो कर दिया था |

श्यामली जब हॉस्पीटल पहुँची तो उसने देखा, विशाल बदहवास सा बैठा था | कोरोना के कारण वह श्यामली के पास भी नहीं आ पा रहा था | उसके आँसू रुक नहीं पा रहे थे | वह लुटा हुआ सा खुद को कोस रहा था | दुख की इस विषम घड़ी में श्यामली उसके पास जाना चाहती थी | पर स्वयं विशाल ने ही उसे रोक दिया |

“श्यामली, अपनी गलती की मैं बहुत बड़ी सजा भुगत रहा हूँ | मम्मी मुझे छोड़कर चली गईं और पापा वेंटीलेटर पर हैं | अब तुम प्रार्थना करो, वे शीघ्र ठीक हो जाएं |” विशाल फूट फूट कर रोने लगा और बोला,

“श्यामली, विश्वास नहीं होता कि मम्मी हमेशा के लिए मुझे छोड़कर चली गईं | अब क्या होगा?”

श्यामली के आँसू रुक नहीं रहे थे | वह विशाल और उसके माता -पिता के विषय में सोच कर बहुत दुखी थी | यह कैसा दुख था, जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी | विशाल की मम्मी का चेहरा और उनकी प्यारी बातें श्यामली के मन में आ बसी थीं |

कल ही तो कह रही थीं, “पुत्तर, जल्दी से मेरे घर की बहू बन कर आजा |”
श्यामली और विशाल परिवार जनों के साथ मम्मी के मृत शरीर की अंत्येष्टि करना चाहते थे |
पर डॉक्टर ने कहा, “प्रशिक्षित कर्मचारी ही मृतक के शरीर को पैक करेंगे और सेनेटाइज करेंगे | श्मशान में ले जाने के लिए भी सरकारी वैन का प्रयोग किया जाएगा |”

निराश हुई श्यामली उस दुपट्टे को बार-बार देख रही थी, जो उसने विशाल की मम्मी वीना के लिए बनाया था |

श्यामली ने दुखी मन से दुपट्टा नर्स को दिया और कहा, “इसे मम्मी जी को उढ़ा देना | मैंने उनके लिए बहुत प्यार से बनाया है |” वह सुबक-सुबक कर रोने लगी |

विशाल अपनी भूल पर बहुत पछता रहा था | उसे लग रहा था, जैसे वह स्वयं ही हत्यारा बन गया है | वह सोच रहा था, “काश ! मैंने भी संयम रखा होता, तो आज माँ जिंदा होती |”

ईश्वर की कृपा से विशाल कुछ ही दिन में पूर्ण स्वस्थ हो कर घर आ गया, पर उसके पिता विनोद का स्वास्थ्य गिरता जा रहा था | उनके लंग्स और किडनी ने काम करना बंद कर दिया | उन्हें बहुत कोशिश करने पर भी डॉक्टर बचा न सके | विशाल ने अपनी ही असावधानियों के कारण इतने कम दिनों में अपने माता-पिता को इस कोरोना की लड़ाई में खो दिया था | इस अप्रत्याशित घटना से वह हताशा की गहरी खाई में गिर गया | उसके कानों में माता-पिता के स्वर गूँजते रहते | उनकी छवि उसे घर के हर भाग में दिखाई पड़ती |

विश्वव्यापी कोरोना के कहर से अनेक देश आतंकित थे | इटली में तब तक कोरोना की महामारी ने अनेक लोगों की जान ले ली थीं | भारत में भी लॉकडाउन हो गया था | बस सब घर में ही रह रहे थे | विशाल अपने ही घर में बिल्कुल अकेला हो गया था | माता-पिता के चित्रों पर हार देखकर वह रोता रहता | स्वयं को दोषी मानकर उसकी मानसिक स्थिति दयनीय हो गई थी | उसके जीवन में अंधकार ने पाँव पसार लिए थे | श्यामली उसके पास आती, उसे प्यार से समझाती, पर विशाल जीवन में छाए गहन अंधकार से उभर न पाता | सभी रिश्तेदार, दोस्त उसे समझाते, पर वह अपराधबोध से मुक्त न हो पाता | वह यही सोचता, “काश ! मैंने भी श्यामली की तरह नियम पालन कर लिए होते तो अपने प्यारे माता-पिता को यों व्यर्थ में ही न खो देता |”

सुनीता माहेश्वरी
महाराष्ट्र , भारत

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