रंगों की बरसात

रंगों की बरसात

होली के त्यौहार की, अजब निराली बात
पिचकारी से हो रही, रंगों की बरसात

फागुन आया साथ ले, रंगों का त्यौहार
अंग अंग पड़ने लगी, पिचकारी की धार

भोर सुंदरी गाल पर, मलने लगी गुलाल
धरती दुल्हन सी सजी,अंबर हुआ निहाल

पड़े ढोल पर थाप तो, गाये मेघ मल्हार
हवा बाँचती पातियाँ , रंगों की इस बार

नफरत की कालिख मिटे, ऐसा उड़े गुलाल
सतरंगा मौसम करें, हम मिलकर इस साल

नैनों नैनों में हुआ, साजन से इकरार
फागुन में प्यारी लगे, रंगों की बौछार

ढोल बजे मृदंग बजे, झांझ बजे करताल
गौरी की पायल बजे,जब जब उड़े गुलाल

गीत फागुनी गा रहे, जोगी हो या सन्त
कलियों पर यौवन चढ़ा, बौराया है कन्त

रंगीला मौसम हुआ, ठंडी चले बयार
अम्बर बरसाने लगा, प्रेम पगी रसधार

रमा प्रवीर वर्मा
नागपुर, महाराष्ट्र

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