गैंग्रीन

गैंग्रीन सौम्या और केशवी – कॉलेज की दो घनिष्ट सहेलियां विवाह के करीब बीस वर्षों पश्चात एक दूसरे से टकरायीं । गले मिलीं, बड़ी खुश हुईं , अलग अलग शहरों में रहने की वजह से इतने वर्षों में मिलना ही नहीं हुआ । आज इतने वर्षों बाद अचानक मॉल में टकरा गयीं..दोनों ही चालीस पार…

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एक पिता का संघर्ष

एक पिता का संघर्ष “बड़े भाग्य से बेटियाँ मिलती है।” ये कहते हुए माखनलाल जी अपनी पत्नी कमला के करीब बैठ गए। कमला :- “वो तो ठीक है मुझे खुद पहली सन्तान बेटी चाहिए लेकिन सासू माँ और ससुर जी वो तो लड़की का जन्म लेना बुरा समझते हैं।” माखनलाल :- “अरे चिंता ना करो…

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खानदान 

खानदान  आनन्द और ख़ुशी जीवन का अनमोल खजाना है .यदि आनन्द और खुशी की यादों का गुलदस्ते मिल जाये तो अनेक फूलों की खुशबू आती है .जब जी चाहे उस गुलदस्ते का एक फूल निकालकर अपने को उस सुगंध में डुबो दें . ऐसा ही आनन्द और ख़ुशी का गुलदस्ता मेरी और सुनन्दा की दोस्ती…

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दस्तखत

दस्तखत   शाम के चार बज रहे थे। इस वक्त मेरे घर का बरामदा बच्चों से गुलजार रहता है। मैं बरामदें में आई तो देखी बच्चे उधम मचा रहे थे। दरी उन्होंने बिछा ली थी। मैं कुर्सी पर बैठ गयी और उन्हें शांत रहने के लिए कहा। रेखा की शरारतें जारी थीं। रेखा सबसे ज्यादा…

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उजाले की ओर

उजाले की ओर शाम गहरा रही थी, एवं धूल भरी आंधियों के आसार नजर आ रहे थे। मैं तेज कदमों से भाग रही थी। बूंदा-बांदी शुरु हो चुकी थी। ओह! घर पहुँच तो जाऊँ बदरा तुम बरसते रहना। यों मौसम बड़ा ही सुहाना हो चला था। प्रचंड गर्मी से राहत तो मिली। सहसा सड़क किनारे…

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प्राण का संबंध

प्राण का संबंध “सुनो तुम्हारी माँ का क्या नाम है?” स्कूल के प्रांगण में एक छात्रा को रोकते हुए प्रीति ने पूछा। लड़की हतप्रभ होकर प्रीति को देखने लगी। प्रीति मुस्कुराई। लड़की से कहा- “मैं समझ रही हूँ तुम्हारे दिल की बात। लोग अमूमन पिता का नाम पूछते हैं और मैंने तुमसे तुम्हारी माँ का…

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करिश्माई आईना

करिश्माई आईना राजा सिर्फ़ नाम का ही राजा था, वैसे अपने आपको रंक ही समझता था। ऐसा नहीं था कि वह एकदम मुफलिस खानदान में जन्मा था या मां बाप उसका खयाल नहीं रखते थे, पर उसका दुःख ये था कि हर मामले में वह बड़ा मामूली था – दिखने में, बोलने में, पढ़ने में,…

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ज्ञान की बात

ज्ञान की बात टेलीविजन पर शंकराचार्य और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ का प्रसंग चल रहा था। जीत और हार के लिए जो मानक निर्धारित किए गए थे मुझे उस समय वह बड़े हास्यास्पद लग रहे थे। दोनों के गले में फूलों की एक-एक माला थी और जिस की माला मुरझा जाएगी उसी को हारा हुआ…

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रोना मत 

रोना मत  सुबह-सुबह जाड़े की सुनहरी गुनगुनी धूप में रंजन जी अपने सफेद मुलायम शाल ओढ़े आराम कुर्सी पर बैठ चाय के आने का इंतजार कर रहे थे। मौसमी फूलों से पूरा बगीचा खिल रहा था। गमले करीने से सजे हुए थे। रंजन जी को बागवानी का बहुत शौक था, परन्तु नौकरी की वजह से…

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ऑनलाइन खाना

    ऑनलाइन खाना पिताजी के इस दुनिया से जाने के बाद माँ का आना-जाना लगा ही रहता था। प्रिया उनकी इकलौती संतान थी,पिताजी के जाने के बाद माँ एकदम अकेली पड़ गई थी।घर का कोना-कोना पिता जी के साथ बिताए मधुर पल की याद दिलाता रहता,जब माँ घर के अकेलेपन से डरने लगती तो…

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