फ़ातिमा शेख़

 

 

फ़ातिमा शेख़

स्त्रियों की शिक्षा, उनके अधिकार एवं दलितों के पुनरुत्थान के लिए कार्य करनेवाली एक मज़बूत कड़ी के रूप में दक्षिण भारत की प्रथम मुस्लिम महिला राष्ट्रमाता फ़ातिमा शेख़ को शायद आज इतिहास भुला चुका है, लेकिन दलितों-पिछड़ों और गरीबों के दिलों में वो युगों-युगों तक जीवित रहेंगी।

फ़ातिमा शेख़ सावित्रीबाई फुले की मिशन की सबसे मज़बूत सहयोगी और साथी शिक्षिका थीं। फ़ातिमा शेख़ का जन्म लगभग 200 वर्ष पहले हुआ था, तथा उनका कार्यक्षेत्र अंग्रेज़ों के समय का पुणे था। इतिहास में जहाँ प्रथम कन्या विद्यालय खोलने का श्रेय सावित्रीबाई के पति ज्योतिबा फुले जी को दिया जाता है, वहीं प्रथम शिक्षिका के रूप में सावित्रीबाई फुले के साथ-साथ फ़ातिमा शेख़ को याद किया जाता है। कहा जाता है कि- तत्कालीन समय में स्त्रियों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। एक तरफ जहाँ स्त्रियों को उनके छोटे-छोटे अधिकारों से वंचित रखा जाता था, वहाँ दूसरी ओर फुले दम्पत्ति के द्वारा स्त्रियों के उत्थान के लिए उन्हें शिक्षित करना बहुत बड़ी चुनोती थी। सामने रुढ़िवादी समाज का विरोध सिर उठाए खड़ा था। परिणाम यह हुआ कि- समाज के दबाव के कारण फुले दम्पत्ति को अपना घर तक छोड़ना पड़ा। ऐसे कठिन समय में फ़ातिमा शेख़ के बड़े भाई उस्मान शेख़, जो ज्योतिबाफुले के मित्र थे, उन्होंने फुले दम्पत्ति को रहने के लिए तथा विद्यालय खोलने के लिए अपने घर का दरवाज़ा खोल दिया। साथ-ही-साथ शेख़ जी ने ज्योतिबा फुले का हर क़दम पर साथ दिया। इसी क्रम में फ़ातिमा शेख़ ने भी अपने मुस्लिम समुदाय के विरोध को सहते हुए सावित्रीबाई के साथ मिलकर ज्योतिबाफुले के उस पाठशाला में शिक्षा ग्रहण की। बाद में सावित्रीबाई के साथ मिलकर उसी विद्यालय में कन्याओं को शिक्षित करने लगीं। परिणाम स्वरूप उन्हें अपने मुस्लिम समाज के विरोध को भी सहना पड़ा। लेकिन ये दोनों स्त्रियाँ न तो समाज से डरीं और न ही उन्होंने उनके बुरे बर्ताव से डरकर अपना रास्ता बदला। आजीवन स्त्रियों की शिक्षा, स्वाभिमान उनकी जागरूकता एवं उनके अधिकार के लिए कार्य करतीं रहीं। दलितों एवं पिछड़ों को न्याय दिलाने के लिए सावित्रीबाई फुले एवं फ़ातिमा शेख़ ने पूरा जीवन देश के नाम कर दिया।

धन्य है तुझपर ऐ माते!

समस्त नारीजाति एवं

दलित-पिछड़ा वर्ग

सदा तेरे ऋणी रहेंगे।

ज्ञान एवं स्वाभिमान की मशाल,

जो तुमने…

हम स्त्रियों के मन में जगाई है।

आज उसी का परिणाम हैं हम।

हम कभी तेरा मान कम न होने देंगे।

जय हिंद! जय भारत!

 

अमीना ख़ातून

पटना ,भारत

 

 

 

 

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